राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सुधारों के एक साल पूरे होने के पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि शिक्षा नीति को हर तरह के दबाव से मुक्त रखा गया है, जो खुलापन नीति के स्तर पर है, वही खुलापन छात्रों को मिल रहे विकल्पों में भी है। अब छात्र कितना पढ़ें, कितने समय तक पढ़ें, ये सिर्फ संस्थाएं तय नहीं करेंगी। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी शिक्षा नीति पर काफी काम हुआ है। नई शिक्षा नीति के जरिए नए भविष्य का निर्माण होगा।
पीएम मोदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज, 5 भारतीय भाषाओं- हिंदी-तमिल, तेलुगू, मराठी और बांग्ला में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं। इंजीनिरिंग के कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए एक टूल भी डवलप किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि भारतीय साइन लैंग्वेज को पहली बार एक भाषा विषय यानि एक विषयt का दर्जा प्रदान किया गया है। अब छात्र इसे एक भाषा के तौर पर भी पढ़ पाएंगे। इससे भारतीय साइन लैंग्वेज को बहुत बढ़ावा मिलेगा, हमारे दिव्यांग साथियों को बहुत मदद मिलेगी।उन्होंने कहा कि बीते एक वर्ष में देश के आप सभी महानुभावों, शिक्षको, प्रधानाचार्यों, नीतिकारों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने में बहुत मेहनत की है।
पीएम ने कहा कि मैं मानता हूं भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ में बड़े फैक्टर्स में से एक है। उन्होंने कहा कि ये महत्वपूर्ण अवसर ऐसे समय में आया है, जब देश आजादी के 75 साल का अमृत महोत्सव मना रहा है। ऐसे में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लागू होना अहम हो गया है।
पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का आज का युवा अपनी व्यवस्थाएं, अपनी दुनिया खुद अपने हिसाब से बनाना चाहता है। इसलिए, उसे एक्सपोजर चाहिए, उसे पुराने बंधनों, पिंजरों से मुक्ति चाहिए। उन्होंने कहा कि नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ युवाओं को ये विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके साथ है, उनके हौसलों के साथ है। जिस आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस के प्रोग्राम को अभी लॉन्च किया गया है, वो भी हमारे युवाओं को फ्यूचर ओरिएंटेड बनाएगा, आईए ड्राइवन इकोनॉमी के रास्ते खोलेगा।
पीएम ने कहा कि पहले समझा जाता था कि अच्छी पढ़ाई करने के लिए विदेश ही जाना होगा लेकिन अच्छी पढ़ाई के लिए विदेश से स्टूडेंट्स भारत आएं, ये अब हम देखने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को हर तरह के दबाव से मुक्त रखा गया है। जो खुलापन नीति के स्तर पर है, वही खुलापन छात्रों को मिल रहे विकल्पों में भी है। आज बन रही संभावनाओं को साकार करने के लिए हमारे युवाओं को दुनिया से एक कदम आगे होना पड़ेगा, एक कदम आगे का सोचना होगा। हेल्थ हो, डिफेंस हो, इंफ्रास्ट्रक्चर हो, टेक्नालॉजी हो, देश को हर दिशा में समर्थ और आत्मनिर्भर होना होगा।