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महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना के बीच तकरार पर एनसीपी ने कार्टून बनाकर कसा तंज

महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच चल रही रस्साकशी पर एनसीपी के एक नेता ने...
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना के बीच तकरार पर एनसीपी ने कार्टून बनाकर कसा तंज

महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच चल रही रस्साकशी पर एनसीपी के एक नेता ने कार्टून बनाकर कटाक्ष किया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो द्वारा मंगलवार को जारी कार्टून में, भाजपा के चुनाव चिह्न ‘कमल’ के ऊपर शिवसेना के चुनाव चिह्न ‘धनुष और तीर’ को दिखाया गया है।

कार्टून में तीर को कमल पर निशाना साधे दिखाया गया है। कार्टून में मराठी में कैप्शन लिखा हुआ है, ‘‘एक कहावत है, सर पर लटकना...’’

''डोक्यावर टांगती तलवार"           

मराठी में, एक कहावत है ''डोक्यावर टांगती तलवार", जो अंग्रेजी के एक कहावत के समान है- ‘स्वार्ड ऑफ डेमोकल्स हैंग्स ओवर हेड’, इसी की तरह हिंदी में एक मुहावरा है, ‘सिर पर तलवार लटकना’..... इन मुहावरों का अर्थ है कि कुछ बुरा होने वाला है या कोई खतरा मंडरा रहा है।

क्यों कसा गया तंज

दरअसल, राज्य में सत्ता की साझेदारी के लिये शिवसेना और भाजपा के बीच रस्साकशी चल रही है। शिवसेना और भाजपा ने 21 अक्टूबर का विधानसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था और इसमें उन्हें क्रमश: 56 तथा 105 सीटों पर जीत मिली। जबकि एनसीपी और कांग्रेस ने क्रमश: 54 और 44 सीटें जीती हैं। लेकिन राज्य में नयी सरकार के गठन के लिये दोनों दल अपने रूख में नरमी के संकेत नहीं दे रहे हैं। शिवसेना लगभग ढाई साल के लिये मुख्यमंत्री पद मांग रही है, जबकि भाजपा ने इसे खारिज कर दिया है।

विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे दावा कर रहे हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले शाह और मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस सत्ता साझेदारी के 50:50 फॉर्मूले पर सहमत हुए थे।

पांच साल मैं ही सीएम रहूंगा: फडणवीस  

जबकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि पांच साल तक वे ही मुख्यमंत्री रहेंगे। साथ ही उन्होंने ऐलान किया कि उन्हें 10 निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है और पांच अन्य विधायकों के समर्थन की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि शिवसेना के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर 50-50 फॉर्मूला जैसा कोई समझौता नहीं हुआ।

 

 

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