केंद्र सरकार द्वारा बुलाए जा रहे विशेष संसद सत्र से पहले कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बताया कि इस सत्र के लिए कोई एजेंडा सूचीबद्ध नहीं किया गया है। यह भी कि चर्चा के लिए मणिपुर में हिंसा सहित नौ मुद्दे उठा रहे हैं।
सोनिया गांधी द्वारा सूचीबद्ध मुद्दों में केंद्र-राज्य संबंध, सांप्रदायिक तनाव के मामलों में वृद्धि और चीन द्वारा सीमा उल्लंघन शामिल थे।
सोनिया गांधी ने पत्र में कहा, "मुझे यह बताना चाहिए कि यह विशेष सत्र अन्य राजनीतिक दलों के साथ परामर्श के बिना बुलाया गया है। हममें से किसी को भी इसके एजेंडे के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हमें केवल इतना बताया गया है कि सभी पांच दिन सरकारी कामकाज के लिए आवंटित किए गए हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि रचनात्मक सहयोग की भावना से इन मुद्दों को आगामी विशेष सत्र में उठाया जाएगा।"
उधर, एआईसीसी मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह पहली बार है कि सदन की कार्यवाही में किसी एजेंडे पर चर्चा या सूचीबद्ध नहीं किया गया है।
जयराम रमेश ने कहा, "हम चाहते हैं कि आगामी सत्र रचनात्मक हो और यह रणनीति समूह की बैठक और भारतीय दलों की बैठक के दौरान निर्णय लिया गया। अगर लोकतंत्र की जननी में लोकतंत्र की 'शहनाई' नहीं है, तो यह कैसा लोकतंत्र है।"
उन्होंने कहा कि जिन नियमों के तहत चर्चा हो सकती है, उन पर आपसी सहमति से चर्चा हो सकती है। रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री "घबराए हुए" और "थके हुए" हैं।
विदित हो कि संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक चलेगा।