2019 के लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली, पंजाब और हरियाणा की सभी सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ेगी और कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा।
'आप' की दिल्ली इकाई के संयोजक गोपाल राय ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनाओं पर विराम लगाते हुए गोपाल राय ने कहा, 'हम दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में अकेले ही चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि गठबंधन को लेकर कांग्रेस नेताओं के विरोधी बयान और पार्टी पदाधिकारियों से राय के बाद पार्टी ने यह फैसला लिया है।
राष्ट्रहित से बड़ा है कांग्रेस का घमंड
दिल्ली सरकार में मंत्री और आप विधायक गोपाल राय ने कहा कि कांग्रेस के लिए उसका घमंड राष्ट्रहित से बड़ा है। यह सब तीन राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद शीला दीक्षित और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के बयानों में भी दिखा है।
गठबंधन न होने के लिए आप ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और दिल्ली की नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित को जिम्मेदार माना है।
मित्र दलों का था दबाव
पार्टी की दिल्ली और पंजाब इकाई के मना करने के बाद भी हमारे ऊपर गठबंधन के लिए मित्र दलों का दबाव था। उनका तर्क था कि सभी धर्म निरपेक्ष ताकतें एक साथ मिलकर चुनाव लड़ें। इन दलों का कहना था कि भाजपा विरोधी मतों का लोक सभा चुनाव में बंटवारा नहीं होना चाहिए। विपक्षी नेता आप नेतृत्व को बार-बार सलाह दे रहे थे कि वह महागठबंधन का हिस्सा बन जाएं।
वहीं, आप नेताओं को एक धड़ा भी गठबंधन करने की वकालत कर रहा था। इसके पीछे की मूल मंशा वोटों को बंटवारा रोकने की थी। इससे भाजपा को शिकस्त देने में मदद मिलेगी।
कांग्रेस के प्रदर्शन से बिगड़ी स्थिति
लोकसभा प्रभारी बनाए जाने के बाद भी प्रत्याशियों की घोषणा न किए जाने को भी इससे जोड़ कर देखा जा रहा था। हालांकि स्थिति उस समय बिगड़ गई जब आप मुख्यालय पर कुछ दिन पहले युवक कांग्रेस ने प्रदर्शन और तोड़फोड़ की। इस पर आप ने अजय माकन के खिलाफ पुलिस में शिकायत दी थी।
कांग्रेस का आरोप था कि उसने इसलिए प्रदर्शन किया क्योंकि दिल्ली विधानसभा मे राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने का प्रस्ताव पास किया गया। जबकि अगले ही दिन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेसवार्ता कर साफ किया था कि इस तरह का कोई प्रस्ताव पास नहीं हुआ है।