राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने सोमवार को कहा कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पटना में पिछले सप्ताह हुई विपक्षी दलों की बैठक में ‘प्रधानमंत्री पद’ को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई।
पवार ने बारामती में संवाददाताओं से कहा कि बैठक में महंगाई, बेरोजगारी और कुछ स्थानों पर ‘जानबूझकर सांप्रदायिक तत्वों को उकसाने की कोशिशों’ जैसे मुद्दों पर बात हुई। उन्होंने विपक्षी दलों की बैठक की आलोचना करने के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर भी निशाना साधा।
पवार ने कहा कि भाजपा इस बैठक को लेकर क्यों चिंतित है, उनमें राजनीतिक परिपक्वता की कमी है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मेजबानी में पटना में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक में एक दर्जन से अधिक दलों के 32 से अधिक नेताओं ने भाग लिया और 2024 के लोकसभा चुनाव में मिलकर भाजपा का मुकाबला करने का संकल्प लिया।
जब पवार से पूछा गया कि इस तरह की आलोचनात्मक टिप्पणियां की जा रही हैं कि बैठक में ‘‘प्रधानमंत्री पद के 19 दावेदार’’ साथ में बैठे थे, तो राकांपा नेता ने इसे ‘बचकाना बयान’ कहकर खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘बैठक में प्रधानमंत्री पद पर कोई चर्चा नहीं हुई। महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों पर बातचीत हुई। कुछ स्थानों पर सांप्रदायिक ताकतों को उकसाने की जानबूझकर की जा रही कोशिशों पर चर्चा हुई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस बात पर भी चर्चा हुई कि सत्ता में बैठे भाजपा के लोगों द्वारा किस तरह समुदायों के बीच दरार पैदा की जा रही है।’’ उन्होंने कहा कि धर्म और जाति के आधार पर समुदायों के बीच दरार पैदा करना किसी भी समाज के लिए नुकसानदेह है और बैठक में इस बारे में बातचीत हुई कि इस तरह की चीजों को कैसे नियंत्रित किया जाए।
पवार ने कहा कि वह उन तथाकथित नेताओं के बयान पढ़ रहे हैं जिन्होंने पटना में विपक्षी दलों की बैठक पर टिप्पणी की हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र में बैठक (विपक्षी दलों की) आयोजित करने के लिए अनुमति क्यों नहीं है? भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष, मुझे उनका नाम याद नहीं है, उन्होंने कहा कि बैठक करने की क्या जरूरत थी। मैंने उनका बयान पढ़ा कि वह मुंबई में बैठक बुला रहे हैं। आप (भाजपा) बैठक आयोजित कर सकते हैं और हम आयोजित करें तो आप क्यों चिंतित होते हैं?’’