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यूपी में टिकट वितरण में नहीं चली मोदी की, परिवारवाद रहा हावी

यूपी चुनावों के मद्देनजर भाजपा की जारी दूसरी सूची में भी पिछड़ों को प्राथमिकता दी गई है। जातीय समीकरणों के लिहाज से पिछड़ों के अलावा सवर्णों को भी अपने पाले में करने की कोशिश की गई है। 155 लोगों की दूसरी सूची में भाजपा ने परिवारवाद पर दांव खेला है।
यूपी में टिकट वितरण में नहीं चली मोदी की, परिवारवाद रहा हावी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रिश्तेदारों के लिए टिकट न मांगने की नसीहत के बावजूद सूची में परिवारवाद जमकर हावी रहा। इसके अलावा बाहरियों पर भाजपा ने जमकर ध्‍यान दिया।  40 से ज्यादा बाहरियों को टिकट मिला है। कुल 304 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान हो गया है। पहली लिस्ट में 149 उम्मीदवारों की घोषणा हुई थी।

चुनावों के लिए टिकट बंटवारे में जमकर परिवारवाद को प्रमुखता दी गई है। वह भी तब जब प्रधानमंत्री मोदी ने नसीहत दी थी कि पार्टी नेता अपने रिश्तेदारों के लिए टिकट ना मांगें। उत्तराखंड में कांग्रेस से भाजपा में आए विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ बहुगुणा को टिकट दिया गया है। बीसी खंडूरी की बेटी रितु को टिकट दिया गया है। कांग्रेस से भाजपा में आए यशपाल आर्य और उनके बेटे को टिकट दिया गया है। वहीं यूपी में कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह को पहली सूची में ही टिकट दिया जा चुका है।

वहीं दूसरे दलों से आए नेताओं को भी प्राथमिकता दी गई है। पहली सूची में बसपा से आए अरविंद गिरि, रोमी साहनी, बाला प्रसाद अवस्थी और रौशन लाल वर्मा को टिकट मिला। बेहट से महावीर राणा और नकुट से धर्मसिंह सैनी को भाजपा का टिकट मिला जबकि दोनों ही बसपा से भाजपा में आए हैं। गंगोह से प्रदीप चौधरी, नटहोर से ओम कुमार को टिकट मिला। प्रदीप कांग्रेस एवं ओम कुमार बसपा से आए हैं। बलदेव सीट पर लोकदल से आए पूरनप्रकाश को टिकट मिला।

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