कांग्रेस नेता और सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा है कि संसद से पारित हो चुके नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू करने से कोई राज्य किसी भी तरह से इनकार नहीं कर सकता। इसे लागू करने से इनकार करना असंवैधानिक होगा।
केरल लिटरेटर फेस्टिवल में कपिल सिब्बल ने कहा, “जब सीएए पारित हो चुका है तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि मैं उसे लागू नहीं करूंगा। यह असंवैधानिक है। आप उसका विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से इसे वापस लेने की मांग कर सकते हैं। लेकिन संवैधानिक रूप से यह कहना कि मैं इसे लागू नहीं करूंगा, अधिक समस्याएं पैदा कर सकता है।”
केरल और पंजाब ने किया है विरोध
हाल में केरल सरकार ने सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट रुख किया था। जिसमें "संविधान में निहित समानता, स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाला" घोषित करने की मांग की गई थी। इस कानून को चुनौती देने वाली और केरल विधानसभा कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाली पहली राज्य सरकार थी। उसके नक्शेकदम पर चलते हुए पंजाब विधानसभा ने भी शुक्रवार को विवादास्पद कानून को खत्म करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने सीएए के साथ ही नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्ट्रेशन (एनपीआर) का विरोध किया है।
'स्थानीय रजिस्ट्रार राज्य के अधिकारी होंगे'
कपिल सिब्बल ने स्पष्ट करते हुए कहा कि जब राज्य यह कहते हैं कि वह सीएए को लागू नहीं करेंगे तो उनका क्या मंतव्य होता है और वह ऐसा कैसे करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्यों का कहना है कि वे राज्य के अधिकारी केंद्र के साथ सहयोग नहीं करने देंगे। उन्होंने कहा, ‘‘एनआरसी, एनपीआर पर आधारित है और एनपीआर को स्थानीय रजिस्ट्रार लागू करेंगे। इसकी गणना के लिए स्थानीय रजिस्ट्रार नियुक्त किए जाने हैं और वे राज्य स्तर के अधिकारी होंगे।’’
'आंदोलन में राजनीतिक दल नहीं'
सिब्बल ने कहा कि व्यावहारिक तौर पर ऐसा कैसे संभव है, यह उन्हें नहीं पता लेकिन संवैधानिक रूप से किसी राज्य सरकार द्वारा यह कहना बहुत मुश्किल है कि वह संसद द्वारा पारित कानून लागू नहीं करेगी। सीएए के विरोध में देशव्यापी आंदोलन को ‘नेता’ और ‘भारत के लोगों’ के बीच लड़ाई करार देते हुए उन्होंने कहा कि भगवान का शुक्र है कि देश के ‘छात्र, गरीब और मध्य वर्ग’ आंदोलन को आगे ले जा रहे हैं, न कि कोई राजनीतिक दल। इसका प्रभाव बन रहा है क्योंकि विश्व स्तर पर और देश के भीतर लोग महसूस कर रहे हैं कि यह राजनीति नहीं है। यह वास्तविक है। ये छात्र, साधारण और गरीब मध्यम वर्ग के लोग हैं जो बाहर आ रहे हैं। वे किसी भी राजनीतिक पार्टी से जुड़े नहीं हैं।