दरअसल अगले वर्ष अप्रैल से शुरू होकर मई के पहले पखवाड़े तक पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। भाजपा की रणनीति है कि नेताजी की जयंती 23 जनवरी से इन फाइलों को सार्वजनिक करना शुरू करके चुनाव की घोषणा से पहले तक धीरे-धीरे इन फाइलों को सार्वजनिक किया जाए ताकि जनता के बीच इससे जुड़े तथ्यों का प्रचार कर ज्यादा-ज्यादा लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया जाए। माना जा रहा है कि इन फाइलों के सार्वजनिक होने से सर्वाधिक नुकसान कांग्रेस को हो सकता है। इसलिए कांग्रेस नहीं चाहती कि चुनाव से ठीक पहले यें फाइलें बंगाल में चुनावी मुद्दा बनें।
कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार अगर फाइलों को सार्वजनिक नहीं करने के पिछली सरकार के फैसले पर सवाल उठा रही है तो वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के खिलाफ भी उंगली उठा रही है। पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा कांग्रेस नेताओं की विरासत को हड़पने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, दस्तावेजों को सार्वजनिक करने के लिए सरकार 23 जनवरी तक इंतजार क्यों कर रही है। क्या यह बंगाल चुनाव के कारण है। उन्हें इसे आज या कल सार्वजनिक कर देना चाहिए। इस पर रहस्य क्यों बनाए हुए हैं।
यह पर्याप्त संकेत देते हुए कि विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर यह कवायद हो रही है शर्मा ने दावा किया कि बिहार के मतदाताओं को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री हाल की अमेरिका यात्रा के दौरान रोए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल नेताजी के परिजनों से मुलाकात के बाद घोषणा की थी कि नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की प्रक्रिया 23 जनवरी, 2016 को सुभाष बाबू की जयंती से शुरू होगी। मोदी ने कहा कि वह विदेशी सरकारों से भी उनके पास उपलब्ध नेताजी से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक करने के लिए उन्हें पत्र लिखेंगे और व्यक्तिगत रूप से विदेशी नेताओं के साथ इस विषय को उठाएंगे जिसकी शुरुआत दिसंबर में रूस के साथ होगी।