शौरी ने कहा कि सरकार ने 500 और 1000 रुपए की 85 प्रतिशत भारतीय मुद्रा को हटाने के लिए जो कदम उठाया है उससे उपजने वाली समस्याओं का अंदाजा शायद उसे नहीं था। शौरी नेे कहा कि नोटबंदी से कालेधन में कमी नहीं आएगी। बल्कि कर संरचना को चुस्त-दुरुस्त करने से इस पर एक हद तक काबू पाया जा सकता है। शौरी ने कहा कि फैसले से छोटे और मध्यम उद्यमों, परिवहन क्षेत्र, पूरेे कृषि क्षेत्र काेे नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि 'उन्होंने इस बारे में नहीं सोचा? जो भी हुआ वह एक आत्म-छवि में हुआ कि मुझे कुछ सर्जिकल स्ट्राइक करना है'। शौरी से जब पूछा गया कि क्या यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक साहसिक और क्रांतिकारी कदम था, तो उन्होंने कहा कि 'कुएं में कूदना भी क्रांतिकारी और बड़ा कदम होता है, खुदकुशी करना भी क्रांतिकारी कदम होता है'।
शौरी नेे कहा कि कालेधन पर अगर आप को प्रहार करना है तो उसकी शुरुआत आपको कर प्रशासन में सुधार के साथ करनी चाहिए।
पूर्व मंत्री शौरी ने कहा कि 'उन्हें नहीं लगता कि नोटबंदी का कदम कालाधन या करमुक्त धन की समस्या से निजात दिला पाएगा। जो लोग काला धन या काली संपत्ति रखते हैं, वे उसे कैश में नहीं रखते। वे इन्हें विदेशों में रखते हैं और डॉलर में भी नहीं, बल्कि बोरों में रखते हैं। यह संपत्ति, गहनों, शायद अन्य परिसंपत्तियों में हो सकती है।