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अब क्रिकेट में भी हिंदू-मुस्लिम, राहुल बोले प्रिय खेल नफरत की चपेट में

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि पिछले कुछ सालों में नफरत को इतना सामान्य बना दिया...
अब क्रिकेट में भी हिंदू-मुस्लिम, राहुल बोले प्रिय खेल नफरत की चपेट में

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि पिछले कुछ सालों में नफरत को इतना सामान्य बना दिया गया है कि क्रिकेट जैसा लोकप्रिय खेल भी इसकी चपेट में आ गया है।

शनिवार को राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'पिछले कुछ वर्षों में नफरत को इतना सामान्य कर दिया गया है कि हमारे प्रिय खेल क्रिकेट को भी इसने अपनी चपेटमें ले लिया है। देश हम सभी का है,हम उन्हें अपनी एकता को मिटाने नहीं देंगे।'  

राहुल गांधी का बयान ऐसे समय पर आया है जब मतभेदों के चलते भारत के पूर्व क्रिकेटर वसीम जाफर ने उत्तराखंड क्रिकेट संघ के कोच पद से इस्तीफा दे दिया है। मामले में काफी विवाद हुआ। पूर्व महान स्पिनर अनिल कुंबले ने भी वसीम जाफर का समर्थन किया था।

संघ सचिव महिम वर्मा ने 42 वर्षीय प्रसिद्ध पूर्व बल्लेबाज वसीम जाफर पर धर्म के आधार पर टीम चयन करने की कोशिश के आरोप लगाए गए थे। जिसे वसीम ने खारिज किया है। इसके साथ ही उन्होंने अपने कोच पद से भी इस्तीफा दे दिया है। जाफर का कहना था कि टीम में मुस्लिम खिलाड़ियों को तरजीह देने के उत्तराखंड क्रिकेट संघ के सचिव महिम वर्मा के आरोपों से उन्हें काफी तकलीफ पहुंची है।

जाफर ने एक वर्च्युअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि जो सांप्रदायिक कोण वाले आरोप है वह बहुत ही दुखद है। उन्होंने आगे बताया कि उन पर आरोप लगाए गए कि मैं अब्दुल्ला के पक्ष में हूं, मैं इकबाल अब्दुल्ला को कप्तान बनाना चाहता था। जो बिल्कुल गलत है। मैं जय बिस्सा को कप्तान बनाने जा रहा था, लेकिन रिजवान शमशाद और अन्य चयनकर्ताओं ने सुझाव दिया कि आप इकबाल को कप्तान बनाए। वह सीनियर प्लेयर है और आईपीएल खेल चुका है और मैं उनके सुझाव से सहमत हो गया।

वसीम जाफर ने कहा कि प्रैक्टिस सेशन के दौरान वह मोलवियों को लेकर नहीं आए थे। बायो बबल में मौलवी आए और हमने नमाज पढ़ी। मैं आपको बताना चाहता हूं कि जो भी मौलवी देहरादून में कैंप के दौरान दो या तीन जुमे आए उन्हें मैंने नहीं बुलाया था।

हम रोज कमरे में ही नमाज पढ़ते थे, लेकिन शुक्रवार की नमाज मिलकर पढ़ते थे तौ मैंने सोचा कि कोई इसके लिए आएगा तो अच्छा ही रहेगा। हमने नेट प्रैक्टिस के बाद पांच मिनट ड्रेसिंग रूम में नमाज पढ़ी। अगर यह सांप्रदायिक है तो मैं नमाज के वक्त के हिसाब से प्रैक्टिस का समय बदल सकता था, लेकिन मैं ऐसा नहीं हूं। उन्होंने आगे कहा कि इसमें कौन सी बड़ी बात है, मुझे समझ नहीं आ रहा है।

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