भीड़ से नेता होते हैं और नेताओं को भीड़ पसंद होती है। भारत की राजनीति में नेताओं का कद उनके इर्द गिर्द मौजूद भीड़ से ही आंका जाता है। केंद्रीय मंत्री उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रही हैं और भाजपा की राष्ट्रीय स्तर की नेत्री हैं। एक समय था जब उनके आगे पीछे सैंकड़ों लोग घूमा करते थे। उनके समर्थक उनकी एक झलक पाने के लिए घंटों इंतेजार में खड़े रहते थे। लेकिन आज परिस्थिति बिल्कुल उलट गई है। केंद्र सरकार में मंत्री होने के बावजूद उमा भारती हर जगह अकेली नजर आती हैं। उनके पीछे घूमने वाले कई लोग बड़े नेता या ओहदेदार हो गए पर आज अपनी इस ओजस्वी नेत्री को ही भुला दिया। हालांकि उमा भारती का कहना है कि वह खुद ही अब किसी से नहीं मिलतीं। लेकिन लोग जानते हैं कि समर्थक अपने आप जुटते हैं नेता से इजाजत लेकर नहीं।
ताजा मामला मध्यप्रदेश का है। कभी इस राज्य की मुख्यमंत्री रहीं उमा भारती पिछले शनिवार को गंगा मिशन के एक कार्यक्रम में शिरकत करने गई थीं। मध्यप्रदेश में अपनी पार्टी भाजपा को सत्ता में लाने वाली उमा भारती जब स्टेशन पर पहुंची तो उनके स्वागत में राज्य का कोई नेता तक मौजूद नहीं था। स्टेशन पर अकेली दिखीं उमा भारती के स्वागत के लिए भाजपा का बस एक कार्यकर्ता अपने दो साथियों के साथ पहुंचा था। खैर एक छोटे से स्वागत के बाद अफसरों के साथ भारती सर्किट हाउस पहुंचीं। जहां नगर अध्यक्ष इकबाल सिंह गांधी और सुरेश गिरि ने उनका स्वागत किया। स्टेशन से लेकर सर्किट हाउस तक कुल मिलाकर सिर्फ पांच लोग स्वागत के लिए आए वह भी अपनी पार्टी के केंद्रीय मंत्री के लिए।
उमा भारती ने सपने में भी इस तरह के हालात की कल्पना नहीं की होगी। हालांकि इसको तूल न देते हुए भारती ने कहा कि उन्होंने खुद ही भीड़ से दूरी बना ली है। इसका कारण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने खुद सबसे दूरी बना ली है। उन्होंने कहा, अब मैं केवल अपने विभाग के अधिकारियों और मीडिया के लोगों से ही मिलती हूं। उन्होंने दावा किया कि 2018 में पहले जैसी ही भीड़ दिखेगी। अब उमा भारती की आगे की योजना जो भी हो लेकिन हालात देखकर तो साफ पता चलता है कि उनके आसपास रहने वाला भीड़ का आभा मंडल कहीं खो गया है।