कभी जद(यू) के राज्यसभा सदस्य रहे साबिर अली को नरेंद्र मोदी की तारीफ करने के कारण नीतीश कुमार ने पार्टी से बाहर कर दिया था। इसके 10 दिन बाद ही साबिर 28 मार्च, 2014 को भाजपा में शामिल हो गए मगर पार्टी के तत्कालीन उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने ट्वीट किया, ‘आतंकी भटकल का दोस्त भाजपा में, जल्द ही दाऊद भी मंजूर होगा’। इसके बाद पार्टी में हलचल मची और अगले दिन ही उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया।
अब आगामी सितंबर-अक्टूबर में संभावित बिहार विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यकों के वोट पर नजर रखते हुए भाजपा ने साबिर अली को फिर से पार्टी में शामिल कर लिया है। पटना स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय में पार्टी के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव ने अली को भाजपा की सदस्यता फिर से दिलाई। इस मौके पर भूपेंद्र यादव ने कहा कि साबिर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव के खिलाफ लगातार संघर्षशील रहे हैं और वह इसे आगे उनकी पार्टी में शामिल होकर जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा की गरीब लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में बदलाव लाने और सभी समुदायों के साथ सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की नीति लोगों को उसकी ओर आकर्षित कर रही है।
साबिर अली को लेकर मुख्तार अब्बास नकवी का ट्वीट तो बहुत बाद में आया मगर हकीकत यह है कि साबिर अली का विवादों से पुराना नाता रहा है। अपनी जिंदगी का एक लंबा समय मुंबई में बिताने वाले साबिर अली का नाम किसी दौर में गुलशन कुमार हत्याकांड में भी आया था मगर अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था। साबिर वर्ष 2014 तक जदयू से राज्यसभा सदस्य रहे थे। नकवी ने उनकी दोस्ती इंडियन मुजाहिदीन के प्रमुख यासीन भटकल से बताई। इसपर साबिर अली ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया मगर बाद में दोनों के बीच आपसी सुलह होने पर यह मुकदमा वापस ले लिया गया। तब से साबिर अली गुमनामी में ही थे मगर अब वह फिर से भाजपा में शामिल हो गए हैं। बताया जाता है कि बिहार के चंपारण इलाके में अल्पसंख्यकों के बीच उनकी अच्छी पैठ है और भाजपा इसी को भुनाना चाहती है।