उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 12 सांसदों का टिकट काटकर दूसरे उम्मीदवारों को मौका दिया। इस मौके को विपक्षी दलों ने तुरंत लपक लिया। विपक्षी दल इन असंतुष्ट टिकट-विहीन सांसदों के प्रभाव का फायदा उठाने के लिए उन्हें मैदान में उतार रहे हैं।
चार सांसदों ने थामा दूसरे दलों का दामन
भाजपा ने अब तक उत्तर प्रदेश में 61 उम्मीदवारों की सूची जारी की है। इनमें उसने 12 मौजूदा सांसदों को टिकट न देने का फैसला किया है। इन टिकटविहीनों में चार सांसद पहले ही विपक्षी दलों जैसे समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं।
सपा और कांग्रेस ने दिया टिकट
भाजपा के इलाहाबाद से सांसद श्याम चरण गुप्ता और बहराइच की सांसद सावित्री बाई फुले अब क्रमशः सपा और कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार हैं। गुप्ता को सपा ने बांदा से टिकट दिया है जबकि कांग्रेस ने फुले को बहराइच से ही खड़ा किया है। एक अन्य भाजपा सांसद हरदोई के अंशुल वर्मा ने सपा का दामन साध लिया है। उन्होंने भाजपा को दलित विरोधी करार दिया है। वर्मा का दावा है कि उन्होंने अखिलेश यादव की सपा को बिना किसी शर्त के ज्वाइन किया है। जबकि सपा दलितों के बीच उनके प्रभाव, खासकर हरदोई में उनके असर का फायदा उठाना चाहती है।
महज 20 मिनट में मिला कांग्रेस का साथ
भाजपा के इटावा से सांसद अशोक कुमार दोहरे का मामला और भी दिलचस्प है। भाजपा ने शुक्रवार को दोपहर में अपनी सूची जारी करते हुए दोहरे का टिकट काट दिया, तो महज 20 मिनट बाद उन्होंने अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस ज्वाइन कर ली। अब वह इटावा से कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे।
भाजपा के गलत कार्यों को उजागर करेंगे
चुनाव में भाजपा के टिकटविहीन सांसदों को खड़ा करने की रणनीति के बारे में सपा के विधान परिषद सदस्य राजपाल कश्यप का कहना है कि इस तरह की रणनीति अपनाने का उद्देश्य सत्ताधारी दल के गलत कार्यों को उजागर करना है। पिछले पांच साल से ये लोग काम कर रहे हैं। वे मतदाताओं को प्रभावशाली तरीके से बता सकते हैं कि भाजपा की असलियत क्या है और उसने क्या गलतियां की हैं। कश्यप के अनुसार हमारा बसपा और रालोद के साथ मजबूत गठबंधन है। इस वजह से इन उम्मीदवारों को हम पर भरोसा है।
भाजपा दलित और पिछड़ा विरोधीः फुले
लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले भाजपा से त्याग पत्र देने वाली सावित्री बाई फुले अब उसके खिलाफ खुलकर बोल रही हैं। उनका कहना है कि भाजपा ने दलितों और पिछड़ों के लिए कुछ नहीं किया। सरकार असंवैधानिक तरीके से काम कर रही हैं और आरक्षण खत्म करने के लिए साजिश कर रही है। वह अपने लोकसभा क्षेत्र बहराइच में भाजपा की हार सुनिश्चित करेंगी। वह हर जगह प्रचार करने को तैयार हैं, जहां से पार्टी उन्हें कहेगी।
कई भाजपा नेताओं ने नाराजगी जताई
बलिया से भाजपा के सांसद भरत सिंह ने हाल में अपने लोकसभा क्षेत्र की जनता को लिखे खुले पत्र में कहा कि उनकी गलती क्या है। उन्हें टिकट क्यों नहीं दिया गया। उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगों के मुद्दे हमेशा उठाए। भाजपा ने जिसे बलिया से उम्मीदवार बनाया है, उसका यहां के लोगों से कोई संपर्क नहीं है। हालांकि वह अपने भावी कदम के बारे में कोई बात नहीं करना चाहते हैं। फतेहपुर सीकरी से भाजपा का टिकट कटने के बाद चौधरी बाबूलाल भी अपनी नाराजगी को सार्वजनिक कर चुके हैं। कुशीनगर में भाजपा सांसद राजेश पांडेय के समर्थकों ने उन्हें टिकट न दिए जाने के विरोध में प्रदर्शन किया और टिकट देने पर पुनर्विचार करने की भाजपा हाईकमान से मांग की।
12 सांसदों के कटे टिकट
भाजपा का टिकट न पाने वाले प्रमुख सांसदों में मुरली मनोहर जोशी (कानपुर), प्रियंका रावत (बाराबंकी), केंद्रीय मंत्री कृष्णा राज (शाहजहांपुर- एससी), अंजू बाला (मिसरिख-एससी) और सत्यपाल सैनी (संभल) शामिल हैं। वैसे कुल 12 सांसदों के टिकट काटे गए हैं।
भाजपा पर कोई असर नहींः त्रिपाठी
टिकट न पाने पर सांसदों की प्रतिक्रियाओं पर भाजपा के प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि चुनाव के दौरान ऐसा होता ही है। नेता नए अवसरों के लिए प्रयास करते हैं। हमारे कार्यकर्ता मेहनत से काम कर रहे हैं और लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास है। इन नेताओं के दूसरे दलों में जाने से कोई असर नहीं पड़ेगा।