पश्चिम बंगाल में समय से पहले चुनाव प्रचार खत्म के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को चुनाव आयोग से मुलाकात की और इस फैसले पर कड़ा विरोध जताया। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आयोग से उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता अहमद पटेल, जयराम रमेश, के राजू, राजीव शुक्ला, टीडीपी के राव मोहनराव और आप के संजय सिंह थे।
नहीं किया न्यायिक प्रक्रिया का पालन
कांग्रेस नेता सिंघवी ने कहा कि किसी भी न्यायिक प्रक्रिया के बिना चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार में कटौती की थी। आयोग यह तय नहीं कर सकता कि कोलकाता में अमित शाह के रोड शो के दौरान हिंसा के पीछे कौन था। हमारा और एनडीए विरोधी दलों का आरोप है कि विद्यासागर की मूर्ति और रोड शो में हिंसा के पीछे भाजपा का हाथ है। उन्होंने कहा कि बिना न्यायिक प्रक्रिया के फैसले लेने से अपराधी को लाभ मिल जाता है और निर्दोष को सजा।
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह कहा कि टीएमसी और अन्य लोगों को अब यह तय करना चाहिए कि वे इसके खिलाफ अदालत जाएंगे या नहीं।
बता दें कि कोलकाता में हिंसा के बाद चुनाव आयोग ने 16 मई को रात दस बजे से ही चुनाव प्रचार पर रोक लगाने का आदेश दिया है जबकि अन्य राज्यों में चुनाव प्रचार शुक्रवार को खत्म होगा।
फैसले को बताया पक्षपातपूर्ण
इससे पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी चुनाव आयोग के इस फैसले को पक्षपातपूर्ण करार देते हुए आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा के पीछे भाजपा और आरएसएस हैं। चुनाव आयोग केंद्र सरकार के इशारों पर काम कर रहा है। ममता बनर्जी को जानबूझकर टारगेट किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि बंगाल में चुनाव प्रचार पर रोक लगानी ही थी तो मोदी की प्रस्तावित दो रैलियों के बाद क्यों रोक लगाई।
विपक्ष की आवाज दबाने का लगाया आरोप
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि ऐसा लगता है कि आदर्श आचार संहिता अब मोदी संहिता बन गई है जिसका इस्तेमाल विपक्ष की आवाज को दबाने में किया जा रहा है। चुनाव आयोग का यह आदेश मोदी की पार्टी के लिए चुनावी गिफ्ट है। चुनाव आयोग ने 24 घंटे बाद ही ऐसा आदेश क्यों जारी किया। आयोग ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर कार्रवाई क्यों नहीं की।