18वीं लोकसभा के पहले सत्र का आगाज सोमवार को हंगामे के साथ हुआ। सत्र की शुरुआत से पहले ही इंडिया गठबंधन के सांसदों ने हाथों में संविधान की कॉपी लेकर प्रदर्शन करने उतरे। विपक्षी सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ भी जमकर हल्ला बोला। वहीं, इस बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कहा कि हम संविधान पर हमला नहीं होने देंगे, हमारा सीधा सा संदेश है कि कोई भी ताकत संविधान को छू नहीं सकती।
बता दें कि सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने के विरोध में विपक्षी गठबंधन इंडिया के नवनिर्वाचित लोकसभा सदस्यों ने संसद परिसर में संविधान की किताब लेकर विरोध प्रदर्शन किया। सोनिया गांधी, राहुल गांधी से लेकर कई नेताओं ने इसमें हिस्सा लिया। इसमें खास बात ये रही कि अधिकांश विपक्षी सांसदों ने संविधान के चमड़े के जिल्द वाली उस किताब को लेकर प्रदर्शन किया जिसको लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान राहुल गांधी ने खासा पॉपुलर बनाया है।
राहुल गांधी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह संविधान पर हमला कर रहे हैं। हम संविधान पर वह हमला नहीं होने देंगे।’ उनका यह भी कहना था, ‘यह हमला हमें स्वीकार्य नहीं है।’
#WATCH दिल्ली: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह जो आक्रमण संविधान पर कर रहे हैं, वो हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है और वो हम नहीं होने देंगे इसलिए हमने शपथ लेते समय संविधान पकड़ा था...हिंदुस्तान के संविधान को कोई शक्ति नहीं छू सकती..." pic.twitter.com/YCdJeHPBy0
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 24, 2024
यह पूछे जाने पर कि क्या विपक्ष का संदेश जनता तक पहुंच रहा है, तो राहुल गांधी ने कहा, ‘‘हमारा संदेश जनता तक पहुंच रहा है और कोई भी ताकत भारत के संविधान का बाल भी बांका नहीं कर सकती और हम इसकी रक्षा करेंगे।’
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने 50 साल पहले के आपातकाल का जिक्र किया, लेकिन पिछले 10 वर्षों के उस ‘अघोषित आपातकाल’ को भूल गए जिसका जनता ने इस लोकसभा चुनाव में अंत कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि देश को उम्मीद थी कि संसद सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नीट एवं अन्य परीक्षओं में ‘पेपर लीक’ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोलेंगे, लेकिन उन्होंने मौन साध लिया।
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल को लोकतंत्र पर लगा ‘काला धब्बा’ करार देते हुए सोमवार को कहा कि इसकी 50वीं बरसी के मौके पर देशवासी यह संकल्प लें कि भारत में फिर कभी कोई ऐसा कदम उठाने की हिम्मत नहीं करे। 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत के अवसर पर संसद परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह बात कही।
खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी जी अपने रस्मी संबोधन में आज ज़रुरत से ज़्यादा बोले। इसे कहते हैं, रस्सी जल गई, बल नहीं गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘देश को आशा थी कि मोदी जी महत्वपूर्ण मुद्दों पर कुछ बोलेंगे। नीट व अन्य भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के बारे में युवाओं के प्रति कुछ सहानुभूति दिखाएंगे, पर उन्होंने अपनी सरकार की धांधली व भ्रष्टाचार के बारे में कोई ज़िम्मेदारी नहीं ली। हाल ही में हुई पश्चिम बंगाल की रेल दुर्घटना के बारे में भी मोदी जी मौन साधे रहे। ’’
खड़गे ने दावा किया, ‘‘मणिपुर पिछले 13 महीनों से हिंसा की चपेट में है, पर मोदी जी न वहां गए और ना ही उन्होंने आज के अपने भाषण में ताज़ा हिंसा के बारे में कोई चिंता व्यक्त की है। असम व पूर्वोत्तर में बाढ़ हो, कमरतोड़ महँगाई हो, रुपये का गिरना हो, एग्जिट पोल-स्टॉक बाजार घोटाला हो- अगली जनगणना लंबे समय से मोदी सरकार ने लंबित रखी है, जातिगत जनगणना पर भी मोदी जी बिलकुल चुप थे।’’