केंद्र सरकार के खुफिया एजेंसियों को कंप्यूटरों का डेटा जांचने का अधिकार देने के फैसले पर राजनीति गरमा गई है। इसे लेकर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर हमला बोला है तथा फैसले की आलोचना करते हुए इसे निजता के अधिकार के खिलाफ बताया है। वहीं, सरकार ने सफाई दी है कि इसमें नया कुछ नहीं है। इस तरह के आदेश 2009 में यूपीए सरकार में दिए गए थे जिसमें एजेंसियों को जांच करने के लिए कहा गया था।
'मौलिक अधिकारों के खिलाफ है आदेश'
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार का यह आदेश मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। निजता के अधिकार पर यह आदेश चोट पहुंचाता है। इससे सरकार देश के हर नागरिक की पूरी जानकारी को देखने की अनुमति दे रही है और इससे प्रजातंत्र को भी बड़ा खतरा पैदा हो गया है। हम इसका विरोध करेंगे। यह किसी भी प्रजातंत्र के लिए स्वीकार्य नहीं है।
विपक्ष मुद्दे को बना है राई का पहाड़ः जेटली
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने पर अरुण जेटली ने कहा कि बेहतर होता कि विपक्ष इस मुद्दे को उठाने से पहले पूरी जानकारी प्राप्त कर लेता। जेटली ने कांग्रेस पर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने और इसे बेवजह तूल देने का आरोप लगाया।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इस आदेश में ऐसा जिक्र नहीं किया गया है कि यह आदेश राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर ही जारी किया गया है और आम लोगों पर इसका कोई असर नहीं होगा। सरकार ने इस आदेश के माध्यम से देश में अघोषित आपातकाल लगा दिया है।
इसके जवाब में जेटली ने कहा कि आदेश में सेक्शन 69 के तहत एजेंसियों को अधिकार देने की बात कही गई है। इस सेक्शन में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर प्रावधानों का जिक्र किया गया है।
सरकार करना चाहती है जासूसी
कांग्रेस प्रवक्ता ने रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अबकी बार निजता पर वार किया गया है। चुनाव हारने के बाद मोदी सरकार अब आपके कंप्यूटर की जासूसी करना चाहती है।
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी इसे लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने इसे खतरनाक बताते हुए मुद्दे पर जनता की राय मांगी है।
आईएमएमआईएम के असुदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि पीएम मोदी ने 10 केंद्रीय एजेंसियों को लोगों की निगरानी के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि अब मुझे समझ में आया कि घर घर मोदी का मतलब लोगों के कंप्यूटर पर निगरानी रखना होता है।
क्या है आदेश
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में 10 खुफिया एजेंसियों को कंप्यूटरों के डेटा जांचने का अधिकार दे दिया है। केंद्र सरकार ने कहा है कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 के तहत यदि एजेंसियों को किसी भी संस्थान या व्यक्ति पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का संदेह होता है तो वे उनके कंप्यूटर की जांच तथा कार्रवाई कर सकती हैं।