दिल्ली के इन विधायकों को लाभ के पद से छूट देने के लिए दिल्ली विधानसभा द्वारा पारित एक विधेयक को सोमवार को राष्ट्रपति ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया। जिसके बाद दिल्ली की राजनीति में आरोपों का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता पीएल पुनिया ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे पर झूठा दावा कर रहे हैं। पुनिया ने कहा कि लाभ का पद मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का आदेश बिल्कुल स्पष्ट है और इसलिए आप विधायकों की सदस्यता खत्म की जानी चाहिए। 21 विधायकों की संसदीय सचिव के रूप में नियुक्ति के वक्त दिल्ली सरकार द्वारा जारी अधिूसचना का उल्लेख करते हुए पुनिया ने याद दिलाया कि इन लोगों को क्या सुविधाएं मुहैया की गई थी। उन्होंने कहा कि यह एक स्थापित सिद्धांत है कि कोई व्यक्ति उस वक्त लाभ के पद पर माना जाएगा भले ही वह उससे मिलने वाले लाभ नहीं प्राप्त कर रहा हो।
कानून के अनुसार दिल्ली का कोई भी विधायक अपने कार्यकाल में लाभ का पद नहीं ले सकता है। इसी कानून से अपने विधायकों को बचाने के लिए केजरीवाल सरकार ने संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से दूर रखने के लिए विधानसभा से एक बिल पारित कराकर राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा था। लेकिन राष्ट्रपति ने इसे कल नामंजूर कर दिया। केजरीवाल सरकार के इस फैसले के खिलाफ विपक्षी दलों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। विरोधी दलों का आरोप है कि संसदीय सचिव बने इन 21 विधायकों को मंत्री स्तर की सुविधा मिलेगी जिसका बोझ दिल्ली की जनता पर पड़ेगा। अब इन विधायकों को अयोग्य होने की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।