दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेल से सरकार चलाने के वास्ते मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए उपयुक्त इंतजाम करने की अपील करते हुए एक वकील द्वारा दायर की गयी एक जनहित याचिका को बुधवार को एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा को केजरीवाल के इस्तीफे के लिए ‘अनुचित दबाव’ डालने से रोकने की भी मांग की थी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अगुवाई वाली एक पीठ ने कहा कि चूंकि आप नेता अपनी गिरफ्तारी के विरूद्ध पहले ही उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुके हैं, ऐसे में न्यायिक हिरासत में उन्हें कोई सुविधा प्रदान करने के संबंध में ‘किसी आदेश की अपील न की जाए।’
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति पी एस अरोड़ा की इस पीठ ने कहा कि यह अदालत मीडिया पर सेंसरशिप नहीं लगा सकती और न ही राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को बयान देने से रोक सकती है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘ क्या हम आपातकाल लगाते हैं? क्या हम सेंसशरिप लगाते हैं? हम मार्शल लॉ लगाते हैं? हम कैसे प्रेस पर पाबंदी लगा दें? राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों (का मुंह बंद कर दें)?’’ उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘‘एक लाख रुपये का बैंक ड्राफ्ट तैयार रखिए।’’
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि वैसे तो जेल से सरकार चलाना ‘व्यावहारिक रूप से असंभव’ है लेकिन प्रौद्योगिकी की मदद से ऐसा संभव किया जा सकता है।
जनहित याचिका में उसने जेल में केजरीवाल के लिए वीडियो कांफ्रेंस का इंतजाम करने का अनुरोध किया। उसने यह भी गुजारिश की कि मीडिया को केजरीवाल के इस्तीफे या दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने संबंधी अटकलबाजी वाली ‘सनसनीखेज हेडलाइन’ चलाने से रोका जाए।
अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि यह याचिका गलत धारणा पर आधारित है तथा किसी परोक्ष मंशा से दायर की गयी है।