उत्तर प्रदेश में उन्होंने ही गठबंधन की कोशिश की थी, जिसे आखिर में अंजाम दे दिया गया। इसी तरह पंजाब में भी वह कामयाब माने जा रहे हैं। क्योंकि मतदान के बाद कांग्रेस की एक मात्र उम्मीद पंजाब ही मानी जा रही है। इसी तरह उत्तराखंड में जिस तरह भारतीय जनता पार्टी को पूरी ताकत लगाने पर मजबूर कर दिया,उससे भी पार्टी के हौसले बुलंद है।
किशोर ने ही पहले उत्तर प्रदेश के प्रचार की रणनीति को अंतिम रूप दिया, जिसके बाद पंजाब में उनकी जनसभाओं की रणनीति काम कर गई। शुरू में कांग्रेस पिछड़ती दिखी, उसके बाद अंतिम दौर आते-आते टक्कर में आ गई।
इसी तरह उत्तर प्रदेश में अखिलेश और राहुल की जोड़ी बनवाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। प्रियंका गांधी को भरोसे में लेकर उन्होंने गठबंधन को अंजाम तक पहुंचाया, जिसका नतीजा यह है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अखिलेश के साथ गठबंधन कर टक्कर में आ गई।