इसी के तहत इलाहाबाद तथा इसके आस पास के इलाकों पर पैठ बढ़ाने के लिए सियासी समीकरण तैयार किए जा रहे हैं। इलाहाबाद कभी कांग्रेस का गढ़ था, लेकिन कुछ दशकों से पार्टी की मौजूदगी नाममात्र की रही है। प्रथम प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू की संसदीय सीट फूलपुर भी पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के हाथ चली गई। अब इस सीट पर कब्जे के साथ ही कांग्रेस नए दांव के लिए बेकरार है।
सब कुछ ठीक रहा तो प्रियंका गांधी वाड्रा इस सीट से 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। इससे पहले वह उप्र विधानसभा चुनाव प्रचार की कमान संभालेंगी तो उनका मुख्यालय भी स्वराज भवन हो सकता है। इंदिरा जन्म शताब्दी वर्ष के तहत स्वराज भवन में शुरू हुई पहली चित्र प्रदर्शनी के उद्घाटन में सोनिया गांधी के साथ आईं प्रियंका स्थानीय नेताओं से बीते दो दिन जिस अंदाज में मिलीं, उससे आने वाले दिनों को लेकर बहुत कुछ संकेत मिल गया है।
प्रियंका ने सोनिया और राहुल गांधी के साथ हाल ही में शहर के बुद्धिजीवियों के साथ ही पार्टी नेताओं से भी गुफ्तगू की। जानकारों का कहना है कि आगामी चुनावों को लेकर भी चर्चा हुई। वरिष्ठ नेताओं की मानें तो प्रियंका को फूलपुर संसदीय सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ाया जा सकता है। पार्टी हाईकमान चाहता है कि रायबरेली व अमेठी जैसी तस्वीर फूलपुर में भी हो।
देश के पहले प्रधानमंत्री स्व. जवाहर लाल नेहरू फूलपुर से दो बार सांसद रहे। वह 1952 व 1957 में जीते थे। यह भी चर्चा है कि अगले साल होने वाले उप्र विधानसभा चुनाव में प्रियंका प्रचार की बागडोर संभालेंगी, तब स्वराज भवन को ही केंद्र बनाया जाएगा।