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आजाद से मिलीं प्रियंका, यूपी में उनकी भूमिका पर अटकलें तेज

प्रियंका गांधी ने मंगलवार को कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी गुलाम नबी आजाद से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद उत्तर प्रदेश में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी में उनकी भूमिका को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।
आजाद से मिलीं प्रियंका, यूपी में उनकी भूमिका पर अटकलें तेज

उत्तर प्रदेश में पार्टी नेतृव में फेरबदल की खबरों के बीच मंगलवार को प्रियंका गांधी ने पार्टी महासचिव गुलाम नबी आजाद से अचानक मुलाकात की। पार्टी सूत्रों के अनुसार आजाद के आवास पर प्रियंका की उनसे मुलाकात करीब एक घंटे की थी। समझा जाता है कि आजाद ने राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी में उनकी भूमिका को लेकर चर्चा की। खबरों के अनुसार, प्रियंका कांग्रेस के लिए सक्रिय और बड़ी भूमिका निभा सकती हैं और शायद वह उत्तरप्रदेश में पार्टी की शीर्ष प्रचारक भी होंगी। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की चुनावी रणनीति को लेकर पिछले कुछ दिनों में आजाद की सोनिया और राहुल के साथ मुलाकातें हो चुकी हैं। बताया जाता है कि आजाद चाहते हैं कि प्रियंका बड़ी भूमिका निभाते हुए पूरे राज्य में प्रचार करें।

हालांकि प्रियंका की भूमिका के बारे में कांग्रेस ने अभी मौन साध रखा है लेकिन पार्टी के कई नेता चाहते हैं कि प्रियंका बड़ी भूमिका निभाएं और पूरे राज्य में पार्टी के लिए प्रचार करें। अब तक प्रियंका अपनी मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली तथा अपने भाई एवं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में ही प्रचार करती रही हैं। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में पार्टी की मदद के लिए चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को जिम्मेदारी सौंपी है। बताया जाता है कि किशोर ने राज्य में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए प्रियंका के नाम का सुझाव दिया था। प्रियंका को शीर्ष चुनाव प्रचारक बनाने को लेकर कांग्रेस में अलग-अलग राय है। कुछ लोगों का मानना है कि प्रियंका को एक राज्य के चुनाव पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए और अगले लोकसभा चुनाव में पूरे देश में पार्टी के लिए प्रचार करना चाहिए।

इस बीच ऐसी भी खबरें हैं कि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और दिल्ली की पू्र्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य में सक्रिय भूमिका दी जा सकती है। पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष निर्मल खत्री का इस्तीफा पार्टी में होने वाले बेहद अहम बदलावों का संकेत देता है। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में पिछले 26 साल से भी अधिक समय से राजनीतिक वनवास में है। इस दौरान राज्य में मंडल और मंदिर का मुद्दा तो उभरा ही, साथ ही सपा और बसपा जैसे क्षेत्रीय दल भी मजबूत हुए।

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