राफेल डील में कथित घोटाले पर मोदी सरकार की शिकायत लेकर कांग्रेस ने अब केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) का दरवाजा खटखटाया है। कांग्रेस नेताओं के एक दल ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त से मुलाकात कर इस मामले में एफआईआर रजिस्टर कर स्वतंत्र जांच कराए जाने की मांग की है।
सीवीसी से मिलकर लौटने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने कहा, 'यह सौदा पूरी तरह से पीएम ने ही किया था। 10 अप्रैल, 2015 का पीएम मोदी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का जो स्टेटमेंट है। उस दिन के दोनों के बयान से स्पष्ट है कि ये वही विमान हैं, जो वायुसेना ने मांगे थे।'
'जब्त हों दस्तावेज, दर्ज हो एफआईआर'
आनंद शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस डील के सारे दस्तावेज जब्त किए जाएं। सीवीसी की ओर से एफआईआर दर्ज की जाए। सीवीसी की जिम्मेदारी है कि जिस सरकार में इतना बड़ा घोटाला हुआ, वह कागजात खराब न करें, इसलिए सीवीसी को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। राफेल डील एक बड़ा घोटाला है। आनंद शर्मा के साथ मौजूद रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि फंसने के बाद बीजेपी निराधार बातें कर रही है।
इससे पहले आनंद शर्मा और रणदीप सुरजेवाला समेत कई कांग्रेसी नेताओं ने सीवीसी से मीटिंग कर मामले की जांच की मांग की। इससे पहले विपक्षी पार्टी के नेताओं ने इससे पहले कैग से मुलाकात की थी और कहा था कि वे इस डील को लेकर ऑडिट रिपोर्ट तैयार करें और उसे संसद में पेश करें।
ओलांद के बयान के बाद हमलावर कांग्रेस
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान के बाद से ही कांग्रेस ने सरकार पर हमला तेज कर दिया है। ओलांद का कहना था कि राफेल सौदे के लिए भारत सरकार ने साझीदार के तौर पर रिलांयस को चुनने के लिए कहा था। वहीं, इस डील को लेकर फ्रांस सरकार ने कहा था कि उसकी भारतीय साझीदार कंपनी को चुनने में कोई भूमिका नहीं है और प्रॉजेक्ट पर काम करने वाली कंपनी दैसॉ एविएशन को इसकी पूरी आजादी है।
रिलायंस ने किया सरकार और अपना बचाव
हालांकि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप ने अपना और सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि उसे कॉन्ट्रैक्ट दिलाने में सराकर की कोई भूमिका नहीं रही है।