इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सोमवार को उस जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के पास भारत और यूनाइटेड किंगडम की दोहरी नागरिकता है।
कर्नाटक के भाजपा कार्यकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि राहुल गांधी भारत के साथ-साथ ब्रिटेन के भी नागरिक हैं, जिससे वह संविधान के अनुच्छेद 84 (ए) के तहत चुनाव लड़ने के अयोग्य हैं।
सुनवाई के दौरान लखनऊ बेंच ने केंद्र सरकार को मामले पर अब तक की गई कार्रवाई का ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया, जिसके बाद मामला खारिज कर दिया गया।
इससे पहले कोर्ट ने पिछली सुनवाई में गृह मंत्रालय (एमएचए) की स्टेटस रिपोर्ट पर असंतोष जताया था, जिसमें सीधे तौर पर यह पूछा गया था कि गांधी भारतीय नागरिक हैं या नहीं।
इसके बाद पीठ ने सरकार को संशोधित रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 10 दिन का समय दिया था, जिसमें गांधी की नागरिकता की स्थिति के सवाल का स्पष्ट उत्तर दिया गया था। यह रिपोर्ट एक याचिका के बाद दायर की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि कांग्रेस सांसद के पास दोहरी नागरिकता है।
2019 में, तत्कालीन राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत मिलने के बाद गृह मंत्रालय ने गांधी को उनकी नागरिकता के संबंध में नोटिस जारी किया था।
स्वामी ने आरोप लगाया है कि बैकऑप्स लिमिटेड नामक एक कंपनी वर्ष 2003 में यूनाइटेड किंगडम में पंजीकृत हुई थी और गांधी उस कंपनी के निदेशकों और सचिवों में से एक थे।
सुब्रमण्यम स्वामी ने यह भी कहा है कि कांग्रेस नेता ने ब्रिटेन स्थित एक कंपनी में अपनी राष्ट्रीयता ब्रिटिश घोषित की थी।
नोटिस में कहा गया है, "शिकायत में यह भी कहा गया है कि 10 अक्टूबर, 2005 और 31 अक्टूबर, 2006 को दाखिल कंपनी के वार्षिक रिटर्न में आपकी जन्मतिथि 19 जून, 1970 बताई गई है और आपने अपनी राष्ट्रीयता ब्रिटिश बताई है। इसके अलावा, उपर्युक्त कंपनी के 17/02/2009 के विघटन आवेदन में आपकी राष्ट्रीयता ब्रिटिश बताई गई है।"