भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ‘मोदी उपनाम’ वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने का अनुरोध करने संबंधी उनकी याचिका खारिज करने के गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए शुक्रवार को कहा कि इस पूरे प्रकरण में कांग्रेस नेता का व्यवहार ‘गैरजिम्मेदाराना अहंकार’ वाला रहा है।
भाजपा मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘आज का निर्णय विधि सम्मत है, उचित है और स्वायत योग्य है।’’
इससे पहले, गुजरात उच्च न्यायालय ने राहुल गांधी की याचिका करते हुए कहा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष पहले ही देशभर में 10 मामलों का सामना कर रहे हैं और निचली अदालत का उन्हें दोषी ठहराने का आदेश ‘न्यायसंगत, उचित और वैध’ है।
अदालत ने कहा कि दोषसिद्धि पर रोक लगाने का कोई तर्कसंगत कारण नहीं है। वरिष्ठ भाजपा नेता प्रसाद ने आरोप लगाया कि नेताओं और संगठनों को अपमानित करना राहुल गांधी की ‘फितरत’ है।
उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी लोगों को अपमानित करना अपना अधिकार समझते हैं तो कानून भी है, जो उनसे निपटेगा…अपमानित होने वाले का भी अधिकार है कि वह न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाए।
उन्होंने कहा, ‘‘ राहुल गांधी का अपनी वाणी पर कोई नियंत्रण नहीं है। कुछ भी बोल देंगे आप। अदालत ने उनको माफी मांगने का मौका भी दिया था लेकिन उन्होंने इससे इंकार कर दिया। यह आपका गैरजिम्मेदाराना अहंकार है।’’
गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी।
फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे।
राहुल गांधी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान टिप्पणी की थी कि ‘‘सभी चोरों का समान उपनाम मोदी ही क्यों होता है?’’ इस टिप्पणी को लेकर विधायक ने गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था।