राजस्थान में सत्ता के लिए उठापटक अभी से ही शुरू हो गई है। अब भाजपा में भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और विरोधी खेमे के नेता खुलकर एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में आ गए हैं। वसुंधरा राजे समर्थक नेताओं पर प्रदेश संगठन ने अनुशासन का डंडा चलाना शुरु कर दिया है। इसकी शुरुआत राजे के करीबी और पूर्व मंत्री रोहिताश शर्मा को नोटिस जारी कर की गई है। समर्थकों को निशाने पर लिए जाने से नाराज वसुंधरा ने शुक्रवार को प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह से दिल्ली में मुलाकात की। मुलाकात में वसुंधरा ने अरुण सिंह से साफ कहा कि इस तरह से एक तरफा कार्रवाई से नेताओं और कार्यकर्ताओें में नाराजगी बढ़ेगी। वसुंधरा ने राष्ट्रीय भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा तक भी अपनी शिकायत पहुंचाई है।
अरुण सिंह ने कहा कि सार्वजनिक बयानबाजी करने से नेताओं को दूर रहना चाहिए। डॉ. शर्मा ने कई तरह की ऐसी बयानबाजी की, जो पार्टी के हित में नहीं हैं। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा सभी को पार्टी की नीति के अनुसार काम करना होगा और अनुशासन का पालन करना होगा।
आरएसएस के नेता सतीश पूनिया को बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से राजे महीनों से पार्टी मुख्यालय से दूरी बनाए हुई हैं। तब से, उनके खेमे के पार्टी कार्यकर्ता पार्टी के खिलाफ बोल रहे थे और राज्य भाजपा संगठन के समानांतर इकाई चला रहे थे। राज्य भाजपा पूरी तरह से दो खेमों में बंटी हुई है। एक खेमा वसुंधरा का तो दूसरे में पूनिया, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया व उप नेता राजेंद्र राठौड़ शामिल हैं।
वसुंधरा विरोधी खेमे को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का समर्थन मिला हुआ है। इनका संगठन पर कब्जा है और ये पिछले एक साल से वसुंधरा विरोधियों को संगठन में जगह दे रहे हैं। उपेक्षा के चलते वसुंधरा खेमे ने समानांतर गतिविधियां शुरू कर दी हैं। वसुंधरा खेमे ने इंटरनेट मीडिया पर कई ग्रुप बना रखे हैं। जिला स्तर पर इनकी टीम बनाई गई है। कोरोना काल में वसुंधरा रसोई विधानसभा क्षेत्र स्तर पर चलाई गई तो संगठन ने सेवा कार्य चलाए।
वसुंधरा खेमे के पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी, भवानी सिंह राजावत, प्रहलाद गुंजल, युनूस खान, पूर्व सांसद बहादुर सिंह कोली सहित एक दर्जन नेताओं को नोटिस देने की तैयारी है। पिछले दिनों सिंघवी, राजावत व गुंजल ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि वसुंधरा के बिना पार्टी चुनाव नहीं जीत सकती। हाल ही में, इस खेमे ने दावा किया कि राजस्थान में “राजे बीजेपी है और बीजेपी राजे है।” यह बयान राज्य के पार्टी नेताओं को रास नहीं आया और फिर दोतरफा युद्ध शुरू हो गया।