राजस्थान में रविवार को नई कैबिनेट का गठन हो गया है। 11 कैबिनेट और 4 ने राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। कैबिनेट में सचिन पायलट गुट के 5 विधायकों को जगह दी गई है। पायलट खेमे से विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा और हेमाराम चौधरी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है जबकि, ब्रिजेंद्र ओला और मुरारी मीणा ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली। नई कैबिनेट में इस बार 4 दलित मंत्रियों को भी शामिल किया गया है।
सबसे पहले हेमाराम चौधरी ने मंत्री पद की शपथ ली है। गुड़ामालानी सीट से विधायक हैं और वो 6 बार विधायक रहे हैं। इनके पास मंत्री से लेकर नेता विपक्ष तक का अनुभव है। वह जाट समाज से आते हैं। इन्हें सचिन पायलट का करीबी माना जाता है।
महेश जोशी ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली है। वह हवामहल विधानसभा सीट से तीन बार के विधायक हैं। ये ब्राह्मण समाज से आते हैं और कांग्रेस के मुख्य सचेतक हैं। राजस्थान कांग्रेस सेवा दल के भी अध्यक्ष रह चुके हैं।
रामलाल जाट को अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। वह पहले भी मंत्री रह चुके हैं और मांडल सीट से चौथी बार के विधायक हैं। वह जाट समाज से आते हैं।
महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली है। बागीदौरा सीट से विधायक मंत्री रह चुके हैं और अनुसूचित जनजाति से आते हैं। राजस्थान कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी हैं।
विश्वेनद्र सिंह ने भी गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। वह डीग-कुम्हेर सीट से विधायक हैं। कांग्रेस से पहले विश्वेनद्र सिंह बीजेपी में थे। साथ ही भरतपुर लोकसभा सीट से पूर्व सांसद भी हैं। पिछली दो बार से से विधायक हैं।
ममता भूपेश बैरवा ने को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। राज्यमंत्री ममता भूपेश को प्रमोट कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया ह। सिकराय सीट से विधायक हैं और अनुसूचित समाज से आती हैं। इससे भी गहलोत सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। ये झुंझुनू ज़िले से आती हैं।
रमेश चन्द मीणा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। ये सपोटरा सीट से विधायक हैं और मीणा समाज से आते हैं। पिछले दो बार के विधायक है। करौली ज़िले से आते हैं। माना जाता है कि रमेश चन्द मीणा सचिन पायलट के करीबी नेता हैं। 2008 में बसपा से जीते, फिर कांग्रेस की सरकार बनने के बाद खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में मंत्री बने। पायलट खेमे के बगावत के बाद मंत्री पद से बर्खास्त किया गया।
भजनलाल जाटव ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। वह भरतपुर की वैर सीट से विधायक हैं। अभी गृह रक्षा राज्य मंत्री हैं। प्रमोट होकर कैबिनेट मंत्री बने हैं।
शकुंतला रावत भी कैबिनेट मंत्री बनी हैं। वह गुर्जर समुदाय से आती हैं। मुख्यमंत्री की भरोसेमंद भी हैं। अलवर की बानसूर सीट से दो बार विधायक हैं। महिला चेहरे के तौर पर मंत्रिमंडल में शामिल हुईं।
मास्टर भंवर लाल मेघवाल के निधन के बाद कैबिनेट में कोई दलित मंत्री नहीं है। ऐसे में गोविंद राम मेघवाल, महेंद्रजीत सिंह मालवीय और ममता भूपेश को कैबिनेट में शामिल किया गया है। गोविंद राम मेघवाल खाजूवाला सीट से विधायक हैं। ये पहले बीजेपी का हिस्सा भी रह चुके हैं। दूसरी बार के विधायक हैं।
अलवर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में आने वाले टीकाराम जूली राज्यमंत्री के तौर पर मंत्रिमंडल में जगह बनाए हुए थे। अब कैबिनेट विस्तार में उन्हें प्रमोट किया गया है।जूली के पास पहले श्रम विभाग की जिम्मेदारी थी। ये अलवर ग्रामीण सीट से विधायक हैं।
जाहिदा खान ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। राजस्थान, हरियाणा और पंजाब तीनों राज्यों में कैबिनेट मंत्री रह चुके तैयब हुसैन की बेटी है। मुस्लिम कोटा के तहत मंत्री बनाया गया है। भरतपुर की कामा सीट से विधायक हैं। संसदीय सचिव भी रह चुकी हैं।
राजेंद्र सिंह गुढा ने राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। वह बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए हैं। कांग्रेस की पिछली सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। झुंझनू जिले की उदयपुरवादी सीट से विधायक हैं.।
मुरारीलाल मीणा ने राज्य मंत्री के तौर पर शपथ ली है। वह दौसा विधानसभा सीट से विधायक हैं। 2008 से 2013 तक कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे थे। 2013 में चुनाव हार गए थे।
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद बृजेंद्र सिंह ओला शेखावाटी संभाग में पार्टी की जगह बनाए रखने में महत्वपूर्ण कड़ी के तौर पर देखा जा रहे हैं। उन्होंने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली। पायलट समर्थक ओला शेखावाटी के बड़े जाट नेता हैं। ये पहले भी मंत्री रह चुके हैं। ये झुंझनू सीट से विधायक हैं।
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने मंत्रियों के शपथ लेने से पहले कहा है कि जो लोग कैबिनेट में शामिल नहीं हो रहे हैं, उनका गवर्नेंस में कैबिनेट में शामिल होने वाले नेताओं से कम योगदान नहीं ह।. दरअसल कुछ नेता शपथग्रहण में शामिल नहीं हो रहे हैं। साफिया जुबेर और जौहरी लाल मीणा ने शपथ ग्रहण का बहिष्कार कर दिया है। साफ़िया रामगढ़ अलवर से और जौहरी लाल मीणा राजगढ़ अलवर से विधायक हैं। साफ़िया का कहना है कि महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा जबकि जौहरी लाल मीणा ने केबिनेट में टीकाराम जूली को प्रमोट किए जाने का विरोध किया है।