राजस्थान राजभवन में कांग्रेस विधायकों का धरना खत्म हो गया है। राज्यपाल कलराज मिश्र से आश्वासन मिलने के बाद अशोक गहलोत खेमे के कांग्रेस विधायकों ने शुक्रवार को राजभवन में पांच घंटे से जारी धरना समाप्त किया। राज्यपाल ने आश्वासन दिया कि वह संविधान का पालन करेंगे। हालांकि, मिश्र ने घोषणा करने से पहले कुछ बिंदुओं पर सरकार का स्पष्टीकरण चाहा। राज्यपाल कलराज मिश्रा ने विधायकों की मांग पर अभी तक फैसला नहीं लिया है। वहीं, सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा है कि हम होंगे कामयाब। मुख्यमंत्री ने 09:30 से बजे कैबिनेट बैठक बुलाई। बैठक में विधानसभा के विशेष सत्र को बुलाने को लेकर फिर से प्रस्ताव पारित किया जाएगा। गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट से सचिन पायलट गुट को राहत मिलने के बाद अब अशोक गहलोत खेमे में हलचल तेज है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से विधानसभा सत्र बुलाने की अपील की गई है, तो राज्यपाल कलराज मिश्र ने अभी कोरोना संकट का हवाला देते हुए मना कर दिया है। इसके बाद अशोक गहलोत विधायकों को साथ लेकर राजभवन पहुंचे। यहां गहलोत समर्थक विधायकों ने धरना भी दिया।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अशोक गहलोत के नेतृत्व की सरकार को गिराने की साजिश भाजपा कर रही है। एक सरकार और मुख्यमंत्री अपना बहुमत साबित करना चाहते हैं। वो विधानसभा सत्र बुलाना चाहते हैं। वह लोगों का मुंह बंद करना चाहते हैं जो कहता है कि कांग्रेस के पास बहुमत नहीं है। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि हमारे पास संपूर्ण बहुमत है और हम करोना से लड़ने और जनता की भलाई के लिए विधानसभा का सत्र बुलाना चाहते हैं। सारे विधायक इसी मांग के साथ राज्यपाल के पास आए थे।
इससे पहले गहलोत ने कहा कि मुझे यकीन है कि राज्यपाल किसी दबाव में नहीं आएंगे, वह कोई निर्णय लेंगे। हमें उम्मीद है कि विधानसभा सत्र जल्द शुरू होगा। उन्होंने कहा, ‘‘विधायक राजभवन में कब तक रहेंगे और धरना कब तक चलेगा। इस पर निर्भर करेगा कि राज्यपाल कब तक पत्र देते हैं और उसमें क्या लिखते हैं। उसके बाद ही कुछ फैसला करेंगे कि हमें क्या करना है।’’
उन्होंने आगे कहा कि हम विधानसभा सत्र बुलाना चाहते हैं, विपक्ष को इसका स्वागत करना चाहिए। यह लोकतंत्र की परंपरा रही है । परन्तु यहां तो उल्टी गंगा बह रही है। हम कह रहे हैं कि हम सत्र बुलाएंगे, अपना बहुमत सिद्ध करेंगे, कोरोना पर बहस करेंगे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि बिना ऊपर के दबाव के राज्यपाल इस फैसले (विधानसभा सत्र बुलाने का फैसला) को रोक नहीं सकते थे क्योंकि राज्यपाल महोदय कैबिनेट के फैसले में बंधे होते हैं।
गहलोत ने कहा कि यदि राज्यपाल के कुछ सवाल हैं तो वह सचिवालय स्तर पर समाधान कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमेशा विपक्ष मांग करता है कि विधानसभा का सत्र बुलाया जाए। यहां सत्ता पक्ष कह रहा है कि विधानसभा का सत्र बुलाया जाए जहां दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। वहीं विपक्ष कह रहा है कि हम ऐसी मांग ही नहीं कर रहे। यह क्या पहेली है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि कलराज मिश्र जिनका अपना एक व्यक्तित्व है और जिनका दिल्ली में भी पक्ष-विपक्ष सम्मान करता रहा है, वह दबाव में नहीं आएंगे क्योंकि उन्होंने संवैधानिक पद की शपथ ली है।’’