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राजीव गांधी की वजह से प्रधानमंत्री नहीं बन पाए प्रणब मुखर्जी!

साल 1990 में वी पी सिंह सरकार के पतन के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन चाहते थे कि प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री बनें लेकिन राजीव गांधी ऐसा नहीं चाहते थे। वह कुछ और ही सोच रहे थे।
राजीव गांधी की वजह से प्रधानमंत्री नहीं बन पाए प्रणब मुखर्जी!

यह दावा कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता और गांधी परिवार के वफादार रहे एमएल फोतेदार की किताब ‘द चिनार लीव्ज’ में किया गया है। किताब में फोतेदार ने लिखा है कि 1990 में जब वी.पी. सिंह के इस्तीफे के संदर्भ में राजनीतिक स्थितियों पर विचारविमर्श करने के लिए उन्होंने राष्ट्रपति वेंकटरमन से मुलाकात की तो राष्ट्रपति ने जोर देकर उनसे कहा कि राजीव को प्रधानमंत्री के तौर पर मुखर्जी का समर्थन करना चाहिए। 

फोतेदार ने लिखा है, मैंने राष्ट्रपति वेंकटरमन से मुलाकात की और राजनीतिक स्थिति पर उनके साथ चर्चा की। मैंने उन्हें बताया कि वर्तमान हालात में केवल कांग्रेस पार्टी ही समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चल सकती है और एक मजबूत तथा स्थिर सरकार दे सकती है। आगे उन्होंने लिखा है, मैंने उनसे आग्रह किया कि वह अगली सरकार का नेतृत्व करने के लिए राजीव को आमंत्रित करें क्योंकि राजीव लोकसभा में अकेले सबसे बड़े दल के नेता थे। इस पर वेंकटरमन ने मुझ पर जोर देते हुए राजीव गांधी को यह बताने के लिए कहा कि अगर वह प्रधानमंत्री पद के लिए प्रणब मुखर्जी का समर्थन करते हैं तो वह (राष्ट्रपति) उसी शाम उन्हें पद की शपथ दिला देंगे। फोतेदार ने किताब में आगे लिखा है कि राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि मुझे यह पता होना चाहिए कि राष्ट्रपति के पास प्रधानमंत्री को नियुक्त करने का अधिकार होता है। उन्होंने मुझे राजीव को यह बता देने के लिए कहा कि जब वह दिन में राष्ट्रपति से मुलाकात करें तो उन्हें सीधे अपनी प्रतिक्रिया दें। उन्होंने चंद्रशेखर का चयन करने के खिलाफ सावधान किया और उनके खिलाफ कुछ प्रतिकूल टिप्पणियां भी की थीं। 

फोतेदार इन दिनों कांग्रेस कार्यकारिणी समिति के सदस्य हैं। उन्होंने किताब में लिखा है कि तत्कालीन राष्ट्रपति वेंकटरमन की प्रधानमंत्री पद के लिए निजी पसंद ने उन्हें हैरत में डाल दिया था। आश्चर्य से उबरते हुए फोतेदार ने राष्ट्रपति से पूछा महोदय, यह कैसे किया जा सकता है। यह सुन कर राष्ट्रपति ने एक बार फिर पूरे अधिकार के साथ कहा कि उन्हें राजीव को उनकी पसंद के बारे में सूचित करना चाहिए। किताब में फोतदार ने लिखा है, ‘मैं वापस आया और राजीव जी को घटनाक्रम से अवगत कराया। वह भी वेंकटरमन के रूख से हैरत में थे। कांग्रेस पार्टी के पास बहुत अधिक विकल्प नहीं बचे थे और आखिरकार राजीव ने बाहर से चंद्रशेखर को समर्थन देने का विवादास्पद फैसला कर ही लिया। फोतेदार के अनुसार, करीब एक दशक से देश का प्रधानमंत्री बनने का इंतजार कर रहे पूर्व युवा तुर्क चंद्रशेखर ने इस मौके को लपक लिया और सत्ता की कमान अपने हाथों में ले ली। 

हार्पर कॉलिन्स द्वारा प्रकाशित यह किताब शीघ्र ही बाजार में आने वाली है। किताब में बताया गया है कि जब तक राजीव गांधी को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाने का विचार इंदिरा गांधी के दिमाग में नहीं आया था तब तक वह सोचती थीं कि मुखर्जी, पी वी नरसिंह राव और वेंकटरमन उनके बाद कांग्रेस पार्टी की बागडोर संभाल सकते हैं। इंदिरा गांधी के पूर्व राजनीतिक सचिव फोतेदार केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। वह कांग्रेस कार्यकारिणी समिति के वरिष्ठ सदस्य हैं।

 

 

 

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