सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) बालकृष्ण ने बुधवार को फिर से माफी मांगी। पतंजलि की ओर से न्यूज़ पेपर में बिना शर्त माफी प्रकाशित करवाई गई है।
बता दें कि पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अपनी दवाओं के लिए 'भ्रामक दावों' को लेकर अदालत की अवमानना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रामदेव को कड़ी फटकार लगाई थी। इसके साथ ही रामदेव और बाल कृष्ण को अदालत ने 30 अप्रैल को फिर से पेश होने का आदेश दिया है। सुनवाई के दौरान अदालत ने रामदेव को आदेश दिया कि वह बड़े साइज में पतंजलि माफीनामे का विज्ञापन फिर से जारी करें। अदालत की फटकार के दौरान रामदेव ने नया विज्ञापन छपवाने की बात सुप्रीम कोर्ट से कही थी, जिसकी अदालत ने मंजूरी दे दी।
न्यूज़ पेपर में प्रकाशित माफी मांगते हुए कहा गया, ''सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है, इसे देखते हुए हम कंपनी और व्यक्तिगत तौर पर बिना शर्त माफी मांगते हैं। ऐसा हम सुप्रीम कोर्ट के दिए गए निर्देश के तहत कर रहे हैं।''
इसमें आगे कहा गया है, ''हम 22 नवंबर 2023 की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए भी बिना शर्त माफी मांगते हैं। हम अपने विज्ञापनों को प्रकाशित करने में हुई गलती के लिए माफी चाहते हैं। ये हमारी प्रतिबद्धता है कि ऐसा गलती दोबारा नहीं होगी।''
योग गुरु रामदेव और बालकृष्ण ने कहा कि आगे से ऐसा नहीं होगा। दोनों ने कहा, ''हम वचन देते हैं कि कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे, हम कानूनों और निर्देशों को हमेशा मानेंगे।''
दरअसल, कोर्ट ने मंगलवार को सवाल उठाते हुए कहा था कि आपके विज्ञापन जैसे रहते थे, क्या माफी वाली ऐड का भी साइज उतना था? सुनवाई के दौरान योग गुरु रामदेव और बालकृष्ण ने कोर्ट में दलील दी थी कि उन्होंने भ्रामक विज्ञापन मामले में अपनी ओर से हुई गलतियों के लिए समाचार पत्रों में बिना शर्त माफी प्रकाशित की है।
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने रामदेव और बालकृष्ण के वकील से न्यूज़ पेपर में प्रकाशित माफीनामे को दो दिनों के भीतर रिकॉर्ड में पेश करने को कहा।
रामदेव और बालकृष्ण की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्होंने सोमवार (22 अप्रैल, 2024) को देशभर के 67 समाचार-पत्रों में माफीनामा प्रकाशित कराया है। मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।
जानें मामला क्या है?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने पतंजलि पर कोविड टीकाकरण और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के खिलाफ एक दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है। इस मामले ही सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।