विपक्षी पार्टियों की बैठक को लेकर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जमकर निशाना साधा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इससे विपक्ष की एकजुटता उजागर हो गई क्योंकि इसमें सपा, टीएमसी, बसपा और आप ने भाग नहीं लिया। बैठक में जो प्रस्ताव पारित किया गया, उसने पाकिस्तान को जरूर खुश कर दिया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विपक्ष का प्रस्ताव न तो राष्ट्रीय हित में है और न ही पड़ोसी देशों या उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के हित में है, जो कि उत्पीड़न के चलते पड़ोसी देशों से भाग कर आए हैं। उन्होंने कहा कि सीएए का मकसद अल्पसंख्यकों के खिलाफ ‘बर्बर सलूक’ करने के लिए पाकिस्तान को बेनकाब करना है। विपक्ष ने ‘‘अनावश्यक रूप से’’ इस प्रक्रिया में मोदी सरकार पर हमला किया है।
सोनिया गांधी ने लगाया आरोप
विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और एनआरसी पर देश को गुमराह किया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने नफरत फैलाई और हमारे लोगों को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने की कोशिश की। संविधान को कमजोर किया जा रहा है और शासन के उपकरणों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
राहुल गांधी ने पीएम को चुनौती
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि मैं पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती देता हूं कि वह बिना पुलिस के किसी भी यूनिवर्सिटी में जाकर दिखाएं और छात्रों से बातचीत करें। उन्हें यह बताने का साहस करना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था की ऐसी हालत क्यों हुई है। मुझे पता है कि उनमें ऐसा करने का साहस नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘इस स्थिति को ठीक करने की बजाय नरेंद्र मोदी ध्यान भटकाने और देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। देश की जनता समझती है कि मोदी जी अर्थव्यवस्था, रोजगार और देश के भविष्य के मुद्दों पर विफल हो गए हैं।’’
यह प्रस्ताव हुआ पारित
पारित प्रस्ताव में विपक्षों दलों द्वारा शासित 13 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से एनआरसी रोकने की अपील की गई। साथ ही देश भर में सीएए-एनआरसी के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों को अपना राजनीतिक और नैतिक समर्थन देने की बात कहते हुए फैसला लिया गया कि विपक्षी पार्टियां अपने-अपने तरीके से कार्यक्रम का आयोजन करेंगी। 23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जन्म दिन पर 'जय हिन्द' के नारे के साथ सीएए और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन संविधान की प्रस्तावना का पाठ कर संविधान पर प्रहार का विरोध किया जाएगा। 30 जनवरी को गांधीजी की शहादत पर विपक्षी पार्टियां उनके सर्वधर्म समभाव के संदेश के साथ सरकार पर सीएए को वापस लेने का नैतिक दबाव डालेंगी।