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कर्नाटक के बागी कांग्रेस नेता पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, विधानसभा से अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को दी चुनौती

कांग्रेस के दो बागी नेता रमेश एल जारखिहोली और महेश कुमथल्ली ने सोमवार को कर्नाटक विधानसभा के विधायक...
कर्नाटक के बागी कांग्रेस नेता पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, विधानसभा से अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को दी चुनौती

कांग्रेस के दो बागी नेता रमेश एल जारखिहोली और महेश कुमथल्ली ने सोमवार को कर्नाटक विधानसभा के विधायक के तौर पर अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उन्होंने के आर रमेश कुमार द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के 25 जुलाई के आदेश को रद्द करने की मांग की है। बता दें कि कुमार ने सोमवार को सदन के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने मंगलवार को जारखिहोली और कुमथल्ली द्वारा दायर याचिका पर जल्द सुनवाई होने की बात कही है। उन्होंने अध्यक्ष के 25 जुलाई के आदेश को खारिज करने के लिए निर्देश देने की मांग की है।

याचिका में, जारखिहोली और कुमथल्ली  ने 11 फरवरी से 25 जुलाई तक के घटनाक्रम को सुनाया। याचिका उस दिन दायर की गई थी जब मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने विधानसभा में बहुमत साबित कर दिया था और एक वोट से विश्वास प्रस्ताव जीत लिया।

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धरमैया और दिनेश गुंडू राव, अध्यक्ष, कर्नाटक कांग्रेस, जिन्होंने विद्रोही विधायकों की अयोग्यता की मांग की थी, इन्हें याचिका में जवाबदेह बनाया गया है।

स्पीकर का फैसला गैरकानूनी: बागी नेता

कांग्रेस के दो बागी नेताओं ने आरोप लगाया है कि अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से पहले रमेश कुमार ने जो फैसला किया था, वह संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत पूरी तरह से गैरकानूनी, मनमाना था।

उन्होंने यह कहते हुए उनके इस्तीफे को अस्वीकार करने के उनके फैसले पर सवाल उठाया कि यह स्वैच्छिक और वास्तविक नहीं था। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है और फिर भी उनके इस्तीफे को सदन के अध्यक्ष ने अशिष्टतापूर्ण तरीके से खारिज कर दिया और अध्यक्ष ने याचिकाकर्ताओं को अयोग्य ठहराया है।

कांग्रेस के दोनों बागी नेताओं ने आरोप लगाया कि अध्यक्ष ने जल्दबाजी में काम किया है क्योंकि उन्हें पार्टी से एक पत्र मिला है जिसके अनुसार कार्रवाई की गई। 

कुमारस्वामी सरकार के फ्लोर टेस्ट में नहीं लिए थे भाग

एच डी कुमारस्वामी द्वारा लाए गए विश्वास मत में दोनों विधायकों ने भाग नहीं लिया था क्योंकि शीर्ष अदालत ने कहा था कि बागी कांग्रेस-जद (एस) के विधायकों को सदन की कार्यवाही में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।

23 जुलाई को विश्वास मत हारने के बाद कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

17 बागी अयोग्य करार

25 जुलाई को जारखिहोली, कुमथल्ली और आर शंकर को अयोग्य घोषित किया गया था और रविवार को अध्यक्ष ने 14 अन्य सदस्यों को अयोग्य ठहराए जाने के आदेश को पारित कर दिया था- जिसमें बैराठी बसवराज, मुनिरत्न, एसटी सोमशेखर, रोशन बेग, आनंद सिंह, एमटीबी नागराज, बीसी पाटिल, प्रताप गौड़ा पाटिल, डॉ सुधाकर, शिवराम हेब्बार, श्रीमंत पाटिल (सभी कांग्रेस) और के गोपालैया, नारायण गौड़ा, एएच विश्वनाथ (सभी जेडीएस) के बागी नेता शामिल हैं। अब 17 विद्रोही विधायकों की अयोग्यता के साथ 225 सदस्यीय विधानसभा की प्रभावी ताकत 208 हो गई है।

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