मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने ऐलान किया है कि वह कांग्रेस से अलग लड़ेगी और गठबंधन में शामिल नहीं होगी। इसके बाद सपा ने छह उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। इससे पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था।
चुनावों की घोषणा के साथ ही मध्य प्रदेश में शनिवार से आचार संहिता भी लागू हो गई है। मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए 28 नवंबर को वोटिंग होगी।
एसपी की ओर से जारी की गई छह उम्मीदवारों की सूची में के के सिंह (सीधी सीट), कंकर मुंजारे (परसवाड़ा), अनुभा मुंजारे(बालाघाट), मीरा यादव (निवाड़ी), दशरथ सिंह यादव (पन्ना) और अशोक आऱ्या (बुधनी) शामिल हैं।
इससे पहले शनिवार को अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा, 'कांग्रेस ने बहुत इंतजार कराया लेकिन अब हम इंतजार नहीं करेंगे। अब कांग्रेस से नहीं बसपा से बात करेंगे। वोट भले ही कम मिला हो लेकिन मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी चौथे स्थान की पार्टी है। अखिलेश ने चुनावी राज्यों में गठबंधन को लेकर बड़ा ऐलान करते हुए कहा, ‘सपा छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में चुनाव लड़ेगी। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।’
भाजपा पर साधा निशाना
अखिलेश ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘साढ़े चार साल पहले स्वदेशी की बात करने वाले और आंदोलन चलाने वाले अब चुप हैं। केंद्र की सरकार ने चीन से सामान आयात करने का लाइसेंस दे दिया है और पूरा मार्केट चीन के सामानों से भरा पड़ा है। अब तो भगवान की मूर्तियां और मिठाई के डिब्बे भी चीन से आने लगे हैं।’
सपा से थी गठबंधन की उम्मीद
सपा के साथ गठबंधन का संकेत देते हुए मध्यप्रदेश कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ ने गुरुवार को कहा था कि कुछ दिनों पहले मैंने अखिलेश यादव से बात की है। हम उनके साथ बातचीत कर रहे हैं। वहीं बसपा के साथ गठबंधन टूटने पर उन्होंने कहा था, 'बसपा ने जिन सीटों की हमें सूची दी थी वहां उसके जीतने के कोई आसार नहीं थे और जिन सीटों पर वह चुनाव जीत सकते थे उन्हें सूची में शामिल नहीं किया गया था।'
बसपा ने फोड़ा था कांग्रेस नेताओं पर ठीकरा
बसपा के साथ गठबंधन टूटने पर अखिलेश ने कांग्रेस को सलाह देते हुए कहा था, 'कांग्रेस को समान विचारधारा वाले दलों को साथ लेकर चलना चाहिए। कांग्रेस अच्छी पार्टी है, उसे दिल बड़ा करना चाहिए।' वहीं मध्यप्रदेश में गठबंधन टूटने के लिए मायावती ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि दिग्विजय आरएसएस एजेंट हैं। मायावती ने यह भी कहा था कि कांग्रेस उनकी पार्टी को खत्म करना चाहती है और वह उसके साथ कभी गठबंधन नहीं करेंगी।