17वीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे को लेकर अटकलें लगाई जा रही है। इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला कह चुके हैं कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश नहीं की। इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने राहुल गांधी का बचाव करते हुए कहा कि हमारे नेता (राहुल गांधी) को निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कथित मोदी लहर में कई दल और नेता बुरी तरह हारे हैं।
राहुल गांधी के नेतृत्व में हम बहादुरी से चुनाव लड़े
संजय निरुपम ने शनिवार को ट्वीट कर कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में हम बहादुरी से चुनाव लड़े। नि:संदेह उन्होंने बहुत मेहनत की। हमारी बदकिस्मती थी कि हम हार गए। उन्हें इस्तीफा क्यों देना चाहिए? इस्तीफा नहीं देना चाहिए। उन्हें पार्टी का नेतृत्व करते रहना चाहिए। हम उनके नेतृत्व में लड़ेंगे और जल्द ही वापस आएंगे।'
किसी ने भी पार्टी अध्यक्ष से इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा
एक अन्य ट्वीट में निरुपम ने कहा, 'कथित मोदी लहर में कई दलों और नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। किसी ने भी पार्टी अध्यक्ष से इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा। न उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की। हमारे नेता को बदनाम करने की साजिश है और एक प्लान के तहत उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। इस पर निश्चित तौर पर रोक लगनी चाहिए। पार्टी उनके साथ पूरी तरह खड़ा है।' बता दें कि संजय निरुपम को महाराष्ट्र की मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट से चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।
एनडीए 352 पर तो भाजपा को 303 सीटें
23 मई को लोकसभा चुनाव के आए नतीजों में कांग्रेस ने मात्र 52 सीटों पर जीत दर्ज की। पिछले लोकसभा चुनाव से तुलना करें तो एनडीए की सीटें 336 से बढ़कर 352 हो गईं। इस तरह उसे 16 सीटों का फायदा हो रहा है। एनडीए के सबसे बड़े घटक दल भाजपा को 21सीटें ज्यादा मिली हैं। उसे कुल 303 सीटें मिली हैं। पिछली बार उसे 282 सीटें मिली थीं। भाजपा के सहयोगी दलों में शिव सेना को 22 और जनता दल युनाइटेड को 18 सीटों पर सफलता मिली है।
यूपीए की सीटें बढ़कर 96 हुईं
यूपीए की सीटें 60 से बढ़कर 96 हो गईं। उसे 36 सीटों को फायदा हुआ। कांग्रेस की सीटें 44 से बढ़कर 52 हो गईं। उसे आठ सीटें ज्यादा मिली हैं। इसके बावजूद वह लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद का दावा नहीं कर सकेगी क्योंकि उसके लिए उसकी सीटें कम रह गईं। नेता प्रतिपक्ष का पद पाने के लिए विपक्षी दल को कम से कम दस फीसदी सीटें मिलनी चाहिए।
क्षेत्रीय दलों को 53 सीटों का नुकसान
ताजा चुनाव में क्षेत्रीय दलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को मिलाकर अन्य की सीटें 147 से घटकर सिर्फ 94 रह गईं। इस तरह उन्हें 53 सीटों का नुकसान हुआ। भाजपा की सुनामी में बुरी तरह पिछड़ने के बावजूद सपा और बसपा के महागठबंधन की सीटों की संख्या पांच से बढ़कर 15 हो गई। उन्हें दस सीटों का फायदा हुआ। इनमें से सपा को पांच और बसपा को दस सीटें मिली हैं। जगन रेड्डी वाली वाईएसआर कांग्रेस की सीटों की संख्या 9 से बढ़कर 22 हो गई। हालांकि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की सीटें 34 से घटकर 22 रह गई। इन बड़े क्षेत्रीय दलों के अलावा अन्य क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। उनकी सीटों की संख्या 99 से घटकर महज 35 रह गई। उन्हें 63 सीटों को भारी भरकम नुकसान हुआ है। इनमें से डीएमके 23 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही। सीपीआइ-एम को तीन और सीपीआइ को दो सीटें मिली हैं जबकि उन्हें 2014 में 10 सीटें मिली थीं।