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‘कांग्रेस के 15-20 नेताओं को जबरन भेजो छुट्टी पर’

विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में उपजी बेचैनी और पार्टी में बड़े बदलाव की मांग के बीच एक पूर्व केंद्रीय मंत्री ने लगभग दर्जन भर वरिष्ठ नेताओं को अनिवार्य छुट्टी पर भेजने की मांग की है।
‘कांग्रेस के 15-20 नेताओं को जबरन भेजो छुट्टी पर’

इस पूर्व मंत्री का आरोप है कि ये वरिष्ठ नेता पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को दिग्भ्रमित कर रहे हैं। वी किशोर चंद्र देव ने चेतावनी देते हुए कहा कि मोदी सरकार को पहले नहीं तो वर्ष 2019 में तो चले ही जाना है... ऐसे में यदि कांग्रेस अब कमर नहीं कसती है तो कई राज्यों में छोटे-छोटे क्षेत्रीय दल उठ खड़े होंगे। देव ने दिल्ली का उदाहरण दिया, जहां अचानक आम आदमी पार्टी उभरी और सत्ता पर काबिज हो गई। देव ने डर जाहिर किया कि यह फार्मूला उन 15-20 राज्यों में खुद को दोहरा सकता है, जहां इस समय कोई स्थापित क्षेत्रीय दल नहीं है।

पीटीआई भाषा को दिए साक्षातकार में देव ने कहा कि पार्टी बहुत आत्म मंथन कर चुकी है और अब कदम उठाने की जरूरत है। यह कहकर वह दरअसल यह संकेत दे रहे थे पिछले लोकसभा चुनाव में सबसे बुरी हार का सामना करने के दो साल बाद भी संगठन में कोई बदलाव नहीं किए गए हैं। उन्होंने कहा कि 15-20 नेताओं को कुछ साल के लिए अनिवार्य छुट्टी पर भेज दिया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि संगठन में रहकर एआईसीसी प्रमुख बनना हो, पीसीसी प्रमुख बनना हो या फिर पार्टी के सत्ता में आने पर केंद्रीय मंत्री बनना हो, वे कुर्सियों का खेल खेल रहे हैं।

देव ने कोई नाम नहीं लिया लेकिन उनके निशाने पर एआईसीसी सचिवालय में विभिन्न पदों पर बैठे लोग या पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के आसपास रहने वाले और उन्हें विभिन्न मुद्दों पर सलाह देने वाले नेता थे। उन्होंने कहा कि ये नेता चाहे वह सोनिया गांधी हों या राहुल गांधी, नेतृत्व को दिग्भ्रमित कर रहे हैं। यदि नेतृत्व को गलत जानकारी मिलती है तो आप किन परिणामों की अपेक्षा कर सकते हैं? उन्होंने कहा कि इन नेताओं की अनिवार्य छुट्टी को कुछ साल का कर दिया जाना चाहिए।

संगठन चलाए जाने के तरीके पर दुख जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ चीजों पर नियम और दिशानिर्देश हैं, जो वहां सिर्फ उल्लंघन किए जाने के लिए ही हैं। आंध्र प्रदेश से पांच बार लोकसभा सदस्य रह चुके और मनमोहन सरकार में आदिवासी मामलों के मंत्री रह चुके देव ने कहा कि कांग्रेस को विश्वसनीय चेहरों और युवा एवं अनुभव के मिश्रण की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पार्टी में बेहद कुशल लोग मौजूद हैं और उनकी कुशलता का इस्तेमाल नेतृत्व द्वारा किया जाना चाहिए। देव ने कहा कि देवराज अर्स और जे. वेंगल राव जाने-माने नेता नहीं थे लेकिन इंदिरा गांधी ने उन्हें क्रमश: कर्नाटक और आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया। आज तक उन्हें राज्य में याद किया जाता है।

असम में कांग्रेस की हार पर देव ने कहा कि निवर्तमान मुख्यमंत्री तरूण गोगोई के लिए उम्र एक मसला रहा और वह अपने इस कार्यकाल में लड़खड़ा गए थे। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के कुछ ही समय बाद देव ने हमला बोलते हुए कांग्रेस की दुर्दशा के लिए जड़हीन और रीढ़ विहीन लोगों को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा कि यदि राहुल गांधी ने उपाध्यक्ष बनने के बाद किए गए वादों में से आधे भी पूरे कर दिए होते तो पार्टी का यह हश्र न होता।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी को आत्मचिंतन करना चाहिए और इस प्राचीन पार्टी को उन जड़हीन और रीढ़विहीन लोगों के चंगुल से बाहर निकालने के लिए माध्यम खोजने चाहिए, जिन्होंने दो दशक से ज्यादा समय तक दबदबा बनाए रखा और पार्टी को इस स्थान तक ले आए। देव ने याद करते हुए कहा कि राहुल ने जनवरी, 2013 में उपाध्यक्ष पद संभालने के बाद जयपुर में हुए मंथन सत्र में संगठन में सुधार के बारे में बहुत कुछ बोला था। चार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने संगठन में एक बड़े बदलाव का सुझाव दिया था। एआईसीसी के महासचिव सिंह ने एक ट्वीट में कहा था, आज के नतीजे निराशाजनक हैं लेकिन ये अप्रत्याशित नहीं हैं। हमने काफी आत्म चिंतन कर लिया है, अब क्या हमें बड़ा बदलाव नहीं करना चाहिए?

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