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पार्टी नेतृत्व पर शत्रुघ्न का हमला जारी

बिहार चुनाव पराजय की जिम्मेदारी तय करने के लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेताओं के बयान का स्वागत करते हुए भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने आज कहा कि हमें जिम्मेदारी तय करने से भागना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा, अब जनादेश सामने आ गया है। हम इस शर्मनाक हार से दुखी हैं। हमें जवाबदेही तय करने से भागना नहीं चाहिए।
पार्टी नेतृत्व पर शत्रुघ्न का हमला जारी

अपने खास अंदाज में उन्होंने कहा, यह सही समय है और वक्त की जरूरत है कि हम मित्र, दार्शनिक, गुरू, मागर्दशक और उनकी चार लोगों की टीम का अनुसरण करें। वास्तव में रिले दौड़ शुरू हो गई है। गैंग आफ फोर ने लक्ष्य पर धमाका किया है। सिन्हा की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार और यशवंत सिन्हा ने बिहार चुनाव पराजय के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह के स्वर व्यक्त करते हुए कहा है कि पिछले एक साल में पार्टी प्रभावहीन बना दी गई है और मुट्ठी भर लोगों के हाथों में जाने को मजबूर किया गया है। इन नेताओं ने एक लिखित बयान में हार के कारणों की व्यापक समीक्षा करने की मांग की है।

शत्रुघ्न सिन्हा ने इस आरोप से भी इंकार किया कि उन्होंने कभी ऐसा कहा था कि अगर उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया होता तो परिणाम कुछ और होते। सिन्हा ने हालांकि कहा कि अगर उन्होंने चुनाव प्रचार किया होता तब स्थितियां बेहतर हो सकती थीं। सिन्हा ने ट्वीट किया,  मीडिया ने ऐसी बात गढ़ने का प्रयास किया कि जैसे मैंने यह कहा हो कि अगर मुझे मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना दिया जाता तब परिणाम भिन्न हो सकते थे।

बिहार में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है और राज्य में चुनाव प्रचार के तौर-तरीकों को लेकर असंतोष के स्वर उभर रहे हैं। सिन्हा को चुनाव प्रचार में शामिल नहीं किया गया था। शत्रुघ्न ने इस बात से इंकार किया कि उन्होंने कभी भी मुख्यमंत्री पद के लिए कोई दावा किया। उन्होंने कहा कि उनकी ऐसी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। मैंने केवल इतना कहा था कि अगर मुझे चुनाव प्रचार के लिए बुलाया गया होता तब चीजें अलग होतीं। एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा,  चुनाव में मेरे दोस्तों, प्रशंसकों और समर्थकों की उत्साहपूर्ण भागीदारी से कुछ सीटों पर निश्चित तौर पर स्थितियां अलग बन सकती थीं।

उन्होंने कहा, मैं कोई राज्यसभा का सांसद नहीं हूं। मैं जनता के समर्थन से आया हूं। मैंने दो लोकसभा चुनाव रिकार्ड अंतर से जीते हैं। मेरा पास समर्थकों का आधार है। फिल्मी दुनिया के अलावा राजनीति में भी अहम मुकाम रखने वाले सिन्हा ने कहा, गंभीरता और सदिच्छा के बावजूद बिहारी बाबू को मेरे लोगों के चुनाव प्रचार से दूर रखा गया। मेरे मित्रों, मतदाताओं और समर्थकों को नीचा दिखाया गया।

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