मोदी सरकार के खिलाफ संसद में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। विपक्ष और सरकार अधिक से अधिक समर्थन जुटाने में लगे नजर आए। खासकर भाजपा अपनी सहयोगी पार्टियों को साधने का भरपूर प्रयास करती दिखाई दी। इस बीच शिवसेना के रूख पर देश की निगाहें टीकी हुई थी। शिवसेना ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सदन में उपस्थित नहीं रहने का निर्णय लिया।अविश्वास प्रस्ताव के कुछ घंटे पहले शिवसेना ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा कि प्रश्न कश्मीर का हो या जनता को अच्छे दिन दिखाने का, महंगाई का होगा या हमारे नाणार परियोजना ग्रस्तों का, सभी स्तर पर जनता की पीठ में सिर्फ खंजर घोंपा गया। सच बोलना देशद्रोह हो जाता है लेकिन विश्वासघात करना, जनता को छलना शिष्टाचार बन जाता है।
वहीं समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, “आज सुबह 11 बजे चर्चा शुरू होगी। देश शिवसेना के रुख के बारे में चिंतित है। हमारी पार्टी सही फैसला करेगी। 10:30-11:00 बजे के बीच, पार्टी प्रमुख स्वयं पार्टी को अपने फैसले के बारे में बताएंगे।”
इससे पहले गुरूवार को खबर आ रही थी कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से भाजपा प्रमुख अमित शाह ने बातचीत की है। बातचीत के बाद ठाकरे ने सरकार का साथ देने का फैसला किया है। लेकिन आधिकारिक तौर पर पार्टी ने सदने में मौजूद नहीं रहने का फैसला किया। ऐसे में भले ही 18 सांसदों वाली शिवसेना के समर्थन देने या ना देने से सरकार को अविश्वास प्रस्ताव पर कोई फर्क ना पड़े लेकिन इसके सियासी संकेत ज्यादा गहरे होंगे।