ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा जाने को लेकर महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना ने कमलनाथ सरकार पर निशाना साधा है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कमलनाथ सरकार को नसीहत देते हुए लिखा है कि मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को नजरअंदाज करके राजनीति नहीं की जा सकती है। यदि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरती है, तो इसका श्रेय भाजपा को नहीं जाता है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा, "ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस के 22 विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। सिंधिया ने भाजपा में प्रवेश किया है। इससे कमलनाथ की सरकार अल्पमत में आ गई। यदि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरती है, तो इसका श्रेय भाजपा को नहीं जाता है। कमलनाथ की सरकार का पतन उनकी लापरवाही, अहंकार और नई पीढ़ी को कम आंकने की प्रवृत्ति के कारण है।”
शिवसेना ने आगे कहा कि दिग्विजय सिंह और कमलनाथ मध्य प्रदेश के पुराने नेता हैं। उनकी आर्थिक शक्ति अधिक है इसलिए बहुमत के मुहाने पर रहते हुए यहां-वहां से विधायकों को इकट्ठा करके समर्थन प्राप्त किया था। यह सच भले ही हो फिर भी मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को नजरअंदाज कर राजनीति नहीं की जा सकती है। सिंधिया का प्रभाव पूरे राज्य पर भले ही न हो लेकिन ग्वालियर और गुना जैसे बड़े क्षेत्रों में सिंधियाशाही का प्रभाव है।
सिंधिया को वरिष्ठों ने किया दरकिनार
संपादकीय में मध्य प्रदेश में दिसंबर 2018 में विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस द्वारा ज्योतिरादित्य सिंधिया को दरकिनार करने पर भी सवाल उठाए गए। सामना में लिखा है, "विधानसभा चुनाव से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री चेहरे थे। लेकिन बाद में पार्टी के वरिष्ठों ने उन्हें एक तरफ धकेल दिया।"
सिंधिया की भी की आलोचना
सामना में यह भी कहा गया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2019 में कर्नाटक सरकार के संकट और दिल्ली हिंसा के संबंध में भाजपा की आलोचना की थी लेकिन हाल ही में उसी पार्टी में शामिल हुए, जिसका उन्होंने विरोध किया।
सेना के मुखपत्र में कहा गया है कि केवल छह महीने पहले वही ज्योतिरादित्य ने भाजपा को 'लोकतंत्र का गला घोंटने वाली पार्टी' के रूप में संबोधित किया। उन्होंने कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद यह प्रतिक्रिया दी थी।
संपादकीय में आगे कहा गया, “15 दिन पहले दिल्ली में हुई हिंसा के बाद, उन्होंने भाजपा नेताओं पर 'द्वेष की राजनीति' लाने का आरोप लगाया। अब वही ज्योतिरादित्य यह कहकर भाजपा के सदस्य बन गए हैं कि 'अब कांग्रेस पार्टी भी वैसी नहीं रही।"
भाजपा ने बनाया राज्यसभा उम्मीदवार
बुधवार को भाजपा में शामिल हुए सिंधिया 13 मार्च को राज्यसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करेंगे। सिंधिया नई दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने एक दिन पहले ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था।