मध्य प्रदेश में शिवराज की सत्ता को कांग्रेस ने कड़ी टक्कर दी है। लिहाजा अब शिवराज सिंह चौहान ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में कांग्रेस के लिए सरकार बनाने का रास्ता साफ हो गया है। समाजवादी पार्टी और बसपा की तरफ से कांग्रेस को समर्थन की घोषणा के बाद प्रदेश में सरकार गठन की तस्वीर साफ हो गई है। इस बीच कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के साथ मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया। गवर्नर से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि हम लोगों ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है और हमें 121 विधायकों का समर्थन है। इस बीच राज्य में सीएम कौन होगा, इसको लेकर असमंजस बरकरार है।
अब मैं मुक्त हूं, मैं स्वतंत्र हूं: शिवराज
13 सालों से प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान ने अपनी हार स्वीकार करते हुए कहा कि हमें स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, इसलिए में राज्यपाल महोदय को इस्तीफा देने जा रहा हूं। उन्होंने कहा, "अब मैं मुक्त हूं, मैं स्वतंत्र हूं। मैंने सम्माननीय गवर्नर को अपना इस्तीफा दे दिया है। हार की ज़िम्मेदारी पूरी तरह से मेरी है। मैंने कमल नाथ जी को बधाई दी है।"
ये है जनादेश
230 सीटों में से कांग्रेस 114 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं पिछले 15 सालों से सत्तारूढ़ बीजेपी को 109 सीटें मिली है। सूबे में सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत है। हालांकि मध्य प्रदेश के सियासी समीकरण में किंगमेकर की भूमिका में मायावती की पार्टी बीएसपी और समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। वहीं निर्दलीय की भूमिका भी यहां अहम है बीएसपी ने दो, समाजवादी पार्टी ने एक और निर्दलीय ने चार सीटों पर कामयाबी पाई है।
कांग्रेस को मिला सपा-बसपा का साथ
सरकार बनाने का दावा पेश कर चुकी कांग्रेस को समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। बुधवार को मायावती ने कहा कि बीजेपी सत्ता में आने के लिए जोड़तोड़ में लगी हुई है, वह उनका ये मकसद पूरा नहीं होने दूंगी। कांग्रेस की नीतियों से सहमति ना जताते हुए भी बसपा मध्य प्रदेश में कांग्रेस का समर्थन करेगी। अगर राजस्थान में भी कांग्रेस को समर्थन की जरूरत पड़ेगी तो वहां भी बसपा उन्हें समर्थन करेगी।
अब कांग्रेस खुद की 114 सीट, बसपा की 2 सीट और सपा की 1 सीट मिलाकर 117 विधायकों का समर्थन जुटाने में पार्टी कामयाब हो गई है।
निर्दलीय भी कांग्रेस के संपर्क में
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक,मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 4 बागी विधायकों ने कमलनाथ से बात की है। चारों बागी विधायक शाम चार बजे कांग्रेस की बैठक में शामिल हो सकते हैं। इनमें विक्रम सिंह राणा, केदारसिंह डावर, प्रदीप जायसवाल और सुरेंद्र सिंह अहम हैं।
भाजपा भी लगा रही थी गणित?
इस बीच बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा किया था। मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष राकेश सिंह ने देर रात ट्वीट कर कहा था, ''प्रदेश में कांग्रेस को जनादेश नहीं है। कई निर्दलीय और अन्य बीजेपी के संपर्क में हैं। कल राज्यपाल महोदया से मिलेंगे।'' लेकिन शिवराज के ऐलान के बाद कांग्रेस के लिए सरकार बनाने का रास्ता साफ हो गया है।