विपक्ष को एकजुट करने के उद्देश्य से बुलाई गई इफ्तार पार्टी में संप्रग सरकार की सहयोगी रहे कई दलोे की मौजूदगी चर्चा का विषय बनी रही। पार्टी में राजद, सपा और वामदल के नेता नजर नहीं आए। यही कारण था कि इफ्तार पार्टी बहुत देर तक नहीं चली। इफ्तार पार्टी में सोनिया गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तीन अलग-अलग मेजोे पर बैठे थे जिनमें सोनिया के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राकांपा प्रमुख शरद पवार थे तो राहुल के साथ जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, जदयू अध्यक्ष शरद यादव बैठे थे। मनमोहन सिंह के साथ बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभ्रद सिंह नजर आए।
इफ्तार पार्टी में मुस्लिम संगठनों की नुमाइंदगी भी कम ही नजर आई। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक इफ्तार के लिए सभी दलों को आमंत्रित किया गया था लेकिन तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधि आए तो वाम दल के नेता नहीं आए। इसी तरह बसपा नेताओं के आने से सपा नेता नहीं आए। जो भी लेकिन इफ्तार पार्टी का आयोजन जिस उद्देश्य से किया गया था वह उद्देश्य पूरा होता नजर नहीं आया। कांग्रेस नेता के मुताबिक सरकार को एक संदेश देना था कि पूरा विपक्ष एकजुट है वह संदेश ठीक से नहीं दिया जा सका।
संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले राजनीतिक लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही इस बैठक को लेकर लग रहे कयासों को सोनिया ने हालांकि यह कहकर खारिज किया कि यह दिन पॉलिटिक्स के लिए नहीं है।