नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देश में विरोध प्रदर्शनों को लेकर विपक्षी दलों की बैठक में सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार ने नफरत फैलाई और लोगों को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने की कोशिश की है। सोनिया गांधी ने कहा, ' सीएए और एनआरसी पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने लोगों को गुमराह किया। उन्होंने केवल हफ्तों पहले दिए गए अपने खुद के बयानों का खंडन किया और अपने उत्तेजक बयान जारी रखे।'
कांग्रेस अध्यक्ष ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि संविधान को कमजोर किया जा रहा है और शासन के उपकरणों का दुरुपयोग हो रहा है। सीएए और एनआरसी को लेकर लोगों में निराशा और रोष है, देशभर में युवा विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। देश के हिस्सों खासकर यूपी में समाज के बड़े तबकों को प्रताड़ित किया जा रहा और उन पर हमले किए जा रहे हैं। यूपी और दिल्ली में पुलिस की कार्रवाई पक्षपातपूर्ण और क्रूर है।
'मोदी सरकार शासन और सुरक्षा देने में नाकाम'
उन्होंने कहा कि जेएनयू में जामिया, बीएचयू, इलाहाबाद विश्वविद्यालय और एएमयू और देश के अन्य हिस्सों में उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों में जो कुछ भी हुआ, उसे देश ने भयानक रूप से देखा है। मोदी-शाह सरकार शासन करने और लोगों को सुरक्षा प्रदान करने में नाकाम रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि असम में एनआरसी उल्टा पड़ गया। मोदी-शाह सरकार अब एनपीआर की प्रक्रिया को करने में लगी है। साफ है कि एनपीआर को पूरे देश में एनआरसी लागू करने के लिए किया जा रहा है।
'वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाया जा रहा है'
सोनिया गांधी ने कहा कि आज भारत के सामने असल मुद्दा आर्थिक गतिविधियों का पतन और विकास को कमजोर करना है, जो समाज के सभी वर्गों, खासकर गरीब और वंचितों को प्रभावित कर रहा है। प्रधान मंत्री और गृह मंत्री के पास कोई जवाब नहीं है और एक के बाद एक विभाजनकारी और ध्रुवीकरण के मुद्दे को उठाकर देश का ध्यान इस गंभीर वास्तविकता से हटाना चाहते हैं।
पीएम देश को कर रहे हैं विभाजितः राहुल गांधी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि पीएम देश के लोगों को विचलित और विभाजित कर रहे हैं। उन्होंने पीएंम को चुनौती देते हुए कहा कि वे किसी एक यूनिवर्सिटी में जाएं और छात्रों को बताएं कि अर्थव्यवस्था के सुधार और रोजगार पैदा करने के लिए क्या करेंगे। इस तरह की बात करने के लिए पीएम में साहस होना चाहिए लेकिन उनमें यह करने की हिम्मत नहीं है।
यह प्रस्ताव पारित हुआ
बैठक में पारित संयुक्त प्रस्ताव में विपक्ष शासित 13 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से एनआरसी रोकने की अपील की गई। साथ ही देश भर में सीएए-एनआरसी के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों को अपना राजनीतिक और नैतिक समर्थन देने की बात कहते हुए फैसला लिया गया कि विपक्षी पार्टियां अपने-अपने तरीके से इसके लिए कार्यक्रम का आयोजन करेंगी। 23 जनवरी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जन्म दिन पर 'जय हिन्द' के नारे के साथ सीएए और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन संविधान की प्रस्तावना का पाठ कर संविधान पर प्रहार का विरोध किया जाएगा। 30 जनवरी को गांधीजी की शहादत दिवस के मौके पर विपक्षी पार्टियां उनके सर्वधर्म समभाव के संदेश के साथ सरकार पर सीएए को वापस लेने का नैतिक दबाव डालेंगी।
20 दलों ने लिया हिस्सा
बता दें कि पार्लियामेंट एनेक्सी में हुई इस बैठक में 20 सभी समान विचारधारा वाले दलों ने इसमें हिस्सा लिया। बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह,एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, एलजेडी प्रमुख शरद यादव, वाम नेता सीताराम येचुरी और डी राजा, रालोद के अजित सिंह, राहुल गांधी, गुलाम नबी आजाद और अहमद पटेल मौजूद थे। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बीएसपी अध्यक्ष मायावती, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दूरी बनाए रखी।