उच्चतम न्यायालय ने आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा को राष्ट्रीय आयुष्मान भारत योजना में शामिल करने की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्तियों जे.बी. पारदीवाला व मनोज मिश्रा की पीठ ने अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर केंद्र सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी किया।
याचिका में पीएम-जेएवाई के नाम से भी जानी जाने वाली योजना आयुष्मान भारत में उपरोक्त चिकित्सा पद्धतियों को शामिल करने की मांग करते हुए कहा गया है कि इससे देश की आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से को किफायती स्वास्थ्य देखभाल लाभ और विभिन्न गंभीर बीमारियों के इलाज की सुविधा मिलेगी, साथ ही आयुर्वेद के क्षेत्र में काम करने वाले कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
साल 2018 में शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना के दो मुख्य घटक हैं - पीएम-जेएवाई और स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र। पीएम-जेएवाई में हर साल गरीबी रेखा से नीचे के प्रत्येक परिवार को पांच लाख रुपये का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जाता है।
याचिकाकर्ता ने इस योजना को सभी राज्यों और भारतीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में लागू करने की मांग की है।
याचिका में कहा गया है, "पीएम-जेएवाई यानी आयुष्मान भारत मुख्य रूप से एलोपैथिक अस्पतालों और औषधालयों तक ही सीमित है, जबकि भारत में आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, सिद्ध, यूनानी, होम्योपैथी समेत विभिन्न स्वदेशी चिकित्सा प्रणालियां हैं, जो भारत की समृद्ध परंपराओं में निहित हैं और वर्तमान समय की स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करने में अत्यधिक प्रभावी हैं।"