एजेंसी की खबर के मुताबिक शीर्ष अदालत ने 20 फरवरी को निचली अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट देने का भी उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया। साथ ही न्यायालय ने कहा कि मजिस्ट्रेट जब भी आवश्यक समझेंगे उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिये तलब कर सकते हैं।
न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ के समक्ष भाजपा नेता सुब्रमणियन स्वामी ने व्यक्तिगत रूप से पेशी से छूट देने का प्रतिवाद किया। पीठ ने कहा, इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों तथा याचिकाकर्ताओं की स्थिति को देखते हुये हमारा मानना है कि निचली अदालत में उनकी उपस्थिति से सुविधा की बजाय और अधिक असुविधा ही होगी। न्यायालय ने कहा, याचिकाकर्ताओं को व्यक्तिगत पेश से छूट होगी और यह निचली अदालत किसी भी चरण में आवश्यकता पड़ने पर उन्हें उपस्थित होने के लिये तलब कर सकती है।
न्यायालय ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिबल, अभिषेक मनु सिंघवी और आर एस चीमा के साथ ही स्वामी की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया। पीठ ने कहा, जहां तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही निरस्त करने का आग्रह अस्वीकार करने के संबंध में उच्च न्यायालय के निर्णय का सवाल है तो हम इसमें हस्तक्षेप करना न्यायोचित नहीं समझते।
उधर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि हमने अदालत के सामने ये रखा कि जहाँ तक चीटिंग का सवाल है, किसी भी कांग्रेसकर्ता ने आज तक ये नहीं कहा कि कांग्रेस पार्टी ने उसको चीट किया है और किसी भी कार्यकर्ता ने ये नहीं कहा कि कांग्रेस पार्टी ने उसका विश्वास तोड़ा है। सिब्बल ने कहा कि जहाँ तक चीटिंग का सवाल आता है, तो किसी को ये तो कहना चाहिए कि हमारा ट्रस्ट ब्रेक हुआ था, अब सुब्रहमण्यम स्वामी जी को तो हमने चीट नहीं किया था और रही बात विश्वास तोड़ने की तो सुब्रहमण्यम स्वामी जी का हमने ट्रस्ट नहीं तोड़ा और कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है हिंदुस्तान में जिसने कहा हो कि उसका ट्रस्ट ब्रेक किया था।