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21वीं सदी हमारी है, 2047 तक देश 'विकसित भारत' बन जाएगा: आंध्र प्रदेश में बोले पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के कुरनूल से एक बार फिर विकसित भारत की बात को...
21वीं सदी हमारी है, 2047 तक देश 'विकसित भारत' बन जाएगा: आंध्र प्रदेश में बोले पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के कुरनूल से एक बार फिर विकसित भारत की बात को दोहराया। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी 140 करोड़ भारतीयों की है और देश 2047 तक "विकसित भारत" बन जाएगा। इस दौरान उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और मेक इन इंडिया का भी जिक्र किया।

दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी 13,430 करोड़ रुपये की कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने कुरनूल पहुंचे थे।

यहां उन्होंने एक रैली को संबंधित करते हुए देश के मेक इन इंडिया पारिस्थितिकी तंत्र की सराहना की और कहा कि हमने ऑपरेशन सिंदूर में घरेलू "चीजों" की ताकत देखी, जो 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान में सीमा पार आतंकवादी ठिकानों पर शुरू किया गया सैन्य अभियान था।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, "2047 तक, स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष तक, विकसित भारत बन जाएगा। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि 21वीं सदी भारत की होगी।"

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि आंध्र प्रदेश को अब मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण के रूप में दूरदर्शी नेतृत्व प्राप्त है तथा केंद्र सरकार राज्य को पूरा सहयोग दे रही है।

उन्होंने कहा कि गूगल के एआई हब निवेश से एक नया अंतरराष्ट्रीय सब-सी गेटवे विकसित किया जाएगा, जिसमें कई देशों के अंडर-सी केबल सिस्टम जुड़ेंगे। ये पूर्वी तट पर विशाखापत्तनम तक आएंगे।

उन्होंने कहा, "पिछले 16 महीनों में आंध्र प्रदेश में विकास की गाड़ी बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है और डबल इंजन सरकार में अभूतपूर्व प्रगति हो रही है। आंध्र प्रदेश न केवल आत्म-सम्मान और संस्कृति की भूमि है, बल्कि विज्ञान और नवाचार का केंद्र भी है।"

उन्होंने आगे कहा कि आज जिन कई परियोजनाओं का उद्घाटन या शिलान्यास किया गया, उनसे राज्य में कनेक्टिविटी में सुधार होगा, उद्योगों को समर्थन मिलेगा और लोगों के जीवन में सुधार आएगा।

मोदी ने आरोप लगाया कि 11 साल पहले जब कांग्रेस केंद्र में सत्ता में थी, तब प्रति व्यक्ति बिजली की औसत खपत 1,000 यूनिट से भी कम थी। उस समय देश ब्लैकआउट की चुनौतियों से भी जूझ रहा था और हमारे गांवों में बिजली के खंभे तक नहीं थे।

इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने यहां राज्य भर में फैली 13,430 करोड़ रुपये की कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। ये परियोजनाएं उद्योग, विद्युत पारेषण, सड़क, रेलवे, रक्षा विनिर्माण तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस जैसे प्रमुख क्षेत्रों में फैली हुई हैं।

उन्होंने 2,880 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश से कुरनूल-III पूलिंग स्टेशन पर ट्रांसमिशन सिस्टम सुदृढ़ीकरण की आधारशिला रखी। इसी प्रकार, उन्होंने कुरनूल में ओर्वाकल औद्योगिक क्षेत्र और कडप्पा में कोप्पर्थी औद्योगिक क्षेत्र की आधारशिला रखी, जिन पर कुल 4,920 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा।

प्रधानमंत्री ने 960 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से सब्बावरम से शीलानगर तक छह लेन वाले ग्रीनफील्ड राजमार्ग की आधारशिला रखी। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने पिलेरू-कलूर खंड सड़क के चार लेन का निर्माण, कडप्पा-नेल्लोर सीमा से सीएस पुरम तक चौड़ीकरण और एनएच-165 पर गुडिवाडा और नुजेला रेलवे स्टेशनों के बीच चार लेन के रेल ओवर ब्रिज (आरओबी) का उद्घाटन किया।

इसके अलावा, मोदी ने 1,200 करोड़ रुपये से अधिक की रेलवे परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। उन्होंने कोथावलासा-विजयनगरम चौथी रेलवे लाइन और पेंदुर्थी एवं सिम्हाचलम उत्तर के बीच रेल फ्लाईओवर की आधारशिला रखी। साथ बज कोट्टावलसा-बोड्डावरा खंड और शिमिलिगुडा-गोरापुर खंड के दोहरीकरण का उद्घाटन किया।

बता दें कि पीएम ने नंद्याल जिले के श्रीशैलम में श्री भ्रामरांबा मल्लिकार्जुन स्वामी वरला देवस्थानम की यात्रा के बाद कुरनूल लौटने के बाद इन उद्घाटन और नींव रखी।

भाजपा सूत्रों ने बताया, "प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर में पंचमुरलु (गाय के दूध, गाय के दही, गाय के घी, शहद और चीनी से बना एक पवित्र मिश्रण) से रुद्राभिषेक किया।"

मुख्यमंत्री नायडू और पवन कल्याण उनके साथ मंदिर तक गए। बाद में, प्रधानमंत्री मोदी ने श्री शिवाजी स्फूर्ति केंद्र का दौरा किया, जो एक स्मारक परिसर है। इस परिसर में एक ध्यान कक्ष है जिसके चारों कोनों पर चार प्रतिष्ठित किलों - प्रतापगढ़, राजगढ़, रायगढ़ और शिवनेरी - के मॉडल स्थापित हैं। बीच में महान राजा छत्रपति शिवाजी की गहन ध्यान मुद्रा में एक प्रतिमा स्थापित है।

श्री शिवाजी स्मारक समिति द्वारा संचालित इस ध्यान कक्ष की स्थापना 1677 में छत्रपति शिवाजी की पवित्र तीर्थस्थल की ऐतिहासिक यात्रा की स्मृति में मंदिर नगरी में की गई थी।

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