कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने मंगलवार को कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ खड़ी रहेगी और भाजपा के ''विभाजनकारी एजेंडे'' के खिलाफ लड़ेगी। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराएं हटाए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटे जाने का संकल्प एवं विधेयक संसद में पारित होने के बाद कांग्रेस की ओर से यह प्रतिक्रिया आई है। कांग्रेस कार्य समिति के प्रस्ताव में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 370 को जिस मनमाने और अलोकतांत्रिक ढंग से हटाया गया है, उसकी सीडब्ल्यूसी निंदा करती है।
सीडब्ल्यूसी ने बैठक में प्रस्ताव पारित कर सरकार के कदम को मनमाना और अलोकतांत्रिक करार देते हुए यह भी कहा गया कि जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और पीओके और चीन के अधीन का एक भूभाग भी भारत का अभिन्न हिस्सा है।
पार्टी ने आरोप लगाया कि संवैधानिक कानून के हर सिद्धांत, राज्यों के अधिकारों और लोकतांत्रिक शासन प्रक्रिया का हनन किया गया है। इसने कहा कि अनुच्छेद 370 को पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और बी आर अंबेडकर ने गोपालस्वामी अयंगर और वीपी मेनन के सहयोग से तैयार किया था। यह उन शर्तों को संवैधानिक मान्यता था जो जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय की सूत्रधार थीं।
‘किसी सरकार के पास यह अधिकार नहीं है कि वह इसके दर्जे को बदल दे’
सीडब्ल्यूसी ने कहा, ''सरकार ने संसद में जो किया है, उसके गंभीर परिणाम जम्मू-कश्मीर के बाहर तक पड़ने वाले हैं। जम्मू-कश्मीर एक राज्य के तौर पर भारत में शामिल हुए था और किसी सरकार के पास यह अधिकार नहीं है कि वह इसके दर्जे को बदल दे या इसे विभाजित कर दे।'' उसने कहा, ''भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लोगों के साथ खड़े होने और भाजपा एवं उसके विभाजनकारी एजेंडे के खिलाफ लड़ने का संकल्प लेती है।''
‘पीओके और चीन के नियंत्रण वाला एक भूभाग भी भारत का अभिन्न अंग’
प्रस्ताव में कहा गया है कि हम यह दोहराते हैं कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर और चीन के नियंत्रण वाला एक भूभाग भी भारत का अभिन्न अंग है। जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक विषय है।
कांग्रेस के कई नेता कर चुके हैं सरकार के फैसले का समर्थन
सीडब्ल्यूसी की बैठक उस वक्त हुई है जब पार्टी के कई नेता अनुच्छेद 370 पर सरकार के कदम का खुलकर समर्थन कर चुके हैं। इसमें नया नाम वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्या सिंधिया का है। सिंधिया ने सरकार के कदम का समर्थन करते हुए मंगलवार को कहा कि यह राष्ट्रहित में लिया गया निर्णय है। सिंधिया से पहले दीपेंद्र हुड्डा, मिलिंद देवड़ा, अनिल शास्त्री, रंजीत रंजन और अदिति सिंह सहित पार्टी के कई नेता जम्मू-कश्मीर पर उठाए गए नरेंद्र मोदी सरकार के कदम का समर्थन कर चुके हैं।
दूसरी ओर, कांग्रेस का आधिकारिक रुख इस कदम के विरोध में है। उसका आरोप है कि सरकार ने संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया है। पार्टी ने संसद में विधेयक का विरोध किया है। गौरतलब है कि संसद ने मंगलवार को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा संबंधी अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के प्रस्ताव संबंधी संकल्प और जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी