राजस्थान के गुढामलानी (बाड़मेर) से कांग्रेसी विधायक हेमा राम चौधरी का इस्तीफ़ा विधानसभा के नियमों में फंसता दिख रहा है। अभी तक उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी उनसे अब तक कोई बात नहीं की है। ऐसे में लोगों की निगाहें इस बात पर भी टिकी है कि क्या गहलोत हेमाराम से बात करेंगे। हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ज़रूर हेमाराम से फ़ोन पर बातकर उन्हें मनाने की कोशिश की थी। हेमा राम ने 18 मई को अपना विधायकी छोड़ने को लेकर एक पत्र ई-मेल और डाक से विधानसभा अध्यक्ष को भेजा था। लेकिन अब लगभग एक हफ्ते बाद विधान सभा सचिवालय से एक पत्र हेमा राम को भेजा गया है, जिसमें कहा गया है कि उनके इस्तीफ़े को लेकर वो लॉक डाउन समाप्त होने के सात दिन के भीतर विधानसभा में हाज़िर हो ताक़ि उनके पत्र पर आगे कार्रवाई हो।
एबीपी न्यूज के अनुसार राजस्थान विधानसभा सचिवालय द्वारा राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया एवं कार्य-संचालन संबंधी नियमावली के नियम 173 (3)के परिप्रेक्ष्य में विधायक हेमाराम चौधरी को लॉकडाउन समाप्त होने के पश्चात सात दिवस की समय अवधि में पूर्व सूचित कर माननीय अध्यक्ष राजस्थान विधानसभा के समक्ष व्यक्तिश: उपस्थित होने हेतु पत्र प्रेषित किया गया है।
विधानसभा सचिवालय की विधायक को भेजे गए इस उत्तर से स्पष्ट हो गया है कि फ़िलहाल उनका इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं हुआ है। अब लॉक डाउन समाप्त होने तक ये मामला टल गया है. इसके बाद हेमा राम यदि व्यक्तिगत रूप से अध्यक्ष के समक्ष हाज़िर हो गए और अपने इस्तीफ़े पर अड़े रहे तो अध्यक्ष को उनका इस्तीफ़ा स्वीकार करना होगा।
लेकिन यदि तय समय पर हेमा राम विधानसभा अध्यक्ष के सामने हाज़िर नहीं हुए तो उनका इस्तीफ़ा मामला लम्बित हो जाएगा हेमाराम पिछले लम्बे वक्त से अपनी कथित उपेक्षा से नाराज़ चल रहे है। वह प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट गुट से है और पिछले वर्ष गहलोत सरकार के ख़िलाफ़ हुई बग़ावत के समय पायलट कैम्प में थे।