लोकसभा चुनावों के मद्देनजर आए दिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं में बगावती तेवर देखने को मिल रहे हैं। अलग-अलग मुद्दो पर अपनी नाराजगी जाहिर करते गुए पार्टी के नेता अपनी ही पार्टी के आलाकमान को अजीबोगरीब तरह की धमकियां देते हुए नजर आ रहे हैं। अपनी ही पार्टी के प्रति इस तरह का रवैय्या रखने वाला कोई नेता टिकट कटने से नाराज है तो कोई नागरिकता संशोधन विधेयक को लागू करने की बात पर नाराज है।
ताजा मामला मेघालय का है, जहां से बीजेपी उम्मीदवार सनबोर शुल्लाई ने वहां भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा दिए गए एक बयान पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए आत्महत्या करने की धमकी दे डाली है। इसके अलावा पिछले दिनों भी पार्टी के नेताओं में टिकट न मिलने को लेकर नाराजगी और धमकी भरे बयान सामने आए हैं। इनमें कैबिनेट मंत्री और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर, संतोष राय और सत्यनारायण सत्तन शामिल हैं।
सनबोर शुल्लाई ने दी आत्महत्या करने की चेतावनी
मेघालय के शिलॉन्ग से बीजेपी उम्मीदवार सनबोर शुल्लाई ने कहा, 'जब तक मैं जिंदा हूं, नागरिकता संशोधन विधेयक को लागू नहीं होने दूंगा। मैं अपनी जान दे दूंगा। मैं नरेंद्र मोदी के सामने आत्महत्या कर लूंगा, लेकिन इस बिल को लागू नहीं होने दूंगा।' लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी बीजेपी इस मुद्दे को भुनाना चाहती है लेकिन बीजेपी एमएलए का यह बयान पार्टी को असहज स्थिति में डाल सकता है।
संतोष राय ने कहा- अंजाम बुरा होगा
पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटों में से 28 सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों के नामों की घोषणा होने के बाद 2014 में उम्मीदवार रहे संतोष राय ने टिकट न मिलने से अपनी ही पार्टी को धमका दिया। राय ने फेसबुक पोस्ट के जरिये पार्टी और नेताओं को अंजाम भुगतने की चेतावनी दे डाली। पार्टी ने संतोष राय की जगह परेश चंद्र दास को टिकट दिया है।
फेसबुक पोस्ट के जरिये संतोष राय ने न केवल पार्टी आलाकमान को धमकी दी है बल्कि प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, मुकुल राय, और चुनाव प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय से भी सवाल पूछे हैं। इस पोस्ट में खुद को आर्थिक रूप से कमजोर होने की बात कर राय ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि 29 सालों से मैं पार्टी में हूं, पिछले 5 साल से मोदी जी के निर्देश से अपने पैसे से लगातार पार्टी के लिए काम कर रहा हूं। आज मैं आप लोगों की नजरों में अर्थहीन, गरीब होने के कारण ही क्या फालतू हो गया?
उन्होंने आरोप लगाया कि इस बार स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के मतों और विचारों के विरुद्ध उम्मीदवार का चयन किया गया है। यही नहीं अपनी फेसबुक पोस्ट के जरिये उन्होंने इसके लिए पार्टी को चेतावनी देते हुए अंजाम भुगतने तक की धमकी दे डाली है।
सत्यनारायण सत्तन ने कहा- महाजन को दिया टिकट तो लड़ूंगा निर्दलीय चुनाव
पिछले दिनों भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार और पूर्व विधायक सत्यनारायण सत्तन ने सांसद व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा था कि अगर पार्टी ने महाजन को लगातार नौवीं बार इंदौर से चुनावी टिकट दिया, तो खुद उन्हें उनके खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मजबूरन मोर्चा संभालना पड़ेगा।
हिन्दी के मंचीय कवि के रूप में भी ख्याति रखने वाले भाजपा नेता ने कहा, ‘बतौर क्षेत्रीय सांसद महाजन की भूमिका को लेकर अधिकतर भाजपा कार्यकर्ता भी प्रसन्न नहीं हैं, क्योंकि गुजरे पांच सालों में उनसे उनका संपर्क लगभग शून्य रहा है। इंदौर से लगातार आठ बार सांसद चुनी जाने के बावजूद महाजन ने आखिर ऐसा कौन-सा काम किया है, जिसके कारण उन्हें याद रखा जाए?’
खुद को "पार्टी का शुभचिंतक" बताने वाले सत्तन ने पार्टी को सुझाव दिया कि भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, भाजपा के स्थानीय विधायक रमेश मैंदोला, पार्टी की एक अन्य क्षेत्रीय विधायक उषा ठाकुर या शहर की महापौर मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ में से किसी नेता को इस बार इंदौर से भाजपा का चुनावी टिकट दिया जाए।
ओमप्रकाश राजभर
इस कड़ी में कैबिनेट मंत्री और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भी हैं, जो कई बार भाजपा से नाता तोड़ने की धमकी दे चुके हैं और इसके लिए कई बार तारीख की घोषणा भी कर चुके हैं, लेकिन हर बार वह अगली तारीख देकर फैसले को टालते रहे हैं। इसी कड़ी में 6 अप्रैल को उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को लखनऊ बुलाया था। इसमें उन्होंने कार्यकर्ताओं से लिखित तौर पर राय मांगी और भाजपा से चल रही तनातनी पर चर्चा की।
राजभर ने कार्यकर्ताओं से लोकसभा चुनाव लड़ने के बजाय पिछड़ों के 27 फीसदी आरक्षण के बंटवारे के मुद्दे पर बात की। उन्होंने राजभर समाज को और ऊपर तक पहुंचाने की बात कहके अपने अगले निर्णय तक मामले को टाल दिया। कहा, उनकी प्राथमिकता राजनीति नहीं है, बल्कि समाज से जुड़े मुद्दों की लड़ाई है। इसलिए जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेंगे। अति पिछड़ों की लड़ाई को मरने नहीं दूंगा।