पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सबको हैरान किया है। वहीं कई बड़े दिग्गज नेताओं को भी चौंकाया है। अपने अपने राज्यों के पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे विधायकों को भी जबर्दस्त मात खानी पड़ी है।
आइए नजर डालते हैं राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के ऐसे चेहरों पर जिनकी चमक पड़ी फीकी...
राजस्थान
टोंक में वन मंत्री यूनुस खान को झेलनी पड़ी हार, पहली बार जीते गैर मुस्लिम प्रत्याशी पायलट
राजस्थान में वसुंधरा सरकार के दो तिहाई मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है। इसमें एक नाम परिवहन मंत्री यूनुस खान का भी है। यूनुस खान भाजपा के एक मात्र मुस्लिम प्रत्याशी रहे जिन्हें उनकी परंपरागत डीडवाना सीट से हटाकर टोंक में कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट के सामने उतारा गया था। और पहली बार यहां से गैर मुस्लिम कांग्रेस प्रत्याशी सचिन पायलट ने रिकॉर्ड 54 हजार 179 मतों से जीत हासिल कर वसुंधरा सरकार के नंबर वन मंत्री यूनुस खान को हार का स्वाद चखाया।
आदर्श नगर से पूर्व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी हारे
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं अशोक परनामी 12553 मतों से हार गए अशोक परनामी का यह तीसरा चुनाव था। वे आदर्श नगर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के प्रत्याशी थे। परनामी पहली बार 2008 में एमएलए बने थे। इसके बाद 2013 में भी विजयी रहे थे। इस बाद उनके सामने कांग्रेस के रफीक प्रत्याशी थे।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार बड़ा उलटफेर दिखा है। इस बार शिवराज सरकार के 31 में से 13 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है। 2013 में भी 10 मंत्री चुनाव हारे थे।
उच्च शिक्षा मंत्री पवैया हारे
ग्वालियर से मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया की हार हुई है। उन्हें कांग्रेस के प्रद्युमन सिंह तोमर ने हराया. उन्हें 21,044 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
मंत्री अर्चना चिटनीस त्रिकोणीय मुकाबले में हारीं
बुरहानपुर विधानसभा सीट से इस बार मंत्री अर्चना चिटनीस को हार का सामना करना पड़ा। वो 5120 वोट से हारीं। वो यहां पिछले दो बार से विधायक थीं, लेकिन कांग्रेस के बागी ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रमन सिंह की जीत जहां सम्मानजनक नहीं रही, वहीं आठ से ज्यादा मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा। रायगढ़ और अंबिकापुर संभाग में बीजेपी का पूरी तरह से सफाया हो गया। हालांकि कुछेक मंत्री और विधायक ही अपनी लाज बचाने में जरूर कामयाब रहे।
कद्दावर मंत्री अमर अग्रवाल की करारी हार
विधानसभा चुनाव के दौरान बिलासपुर विधानसभा में नगरीय निकाय मंत्री अमर अग्रवाल विपरित परिस्थितियों में भी चुनाव जीतते का माद्दा रखने वाले वाले समझे जाते रहे हैं। लेकिन इस बार उन्हें करारी हार झेलनी पड़ी है। इस बार मुकाबला कांग्रेस की टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ रहे शैलेष पांडे से था। उन्होंने अग्रवाल को 10923 वोटों के अंतर से हराया।
ओपी चौधरी: न कलेक्टरी रही, न विधायकी मिली
आईएएस की नौकरी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओम प्रकाश चौधरी छत्तीसगढ़ की खरसिया विधानसभा सीट से हार चुके हैं। चौधरी को कांग्रेस उम्मीदवार उमेश पटेल ने मात दी। चौधरी को जहां 77234 मत मिले वहीं उमेश पटेल ने 94201 वोट हासिल कर जीत दर्ज की। बता दें कि रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओमप्रकाश चौधरी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की मौजूदगी में भाजपा का हाथ थामा था। 2005 बैच के इस आईएएस अधिकारी ने 25 अगस्त को अपने पद से
इस्तीफा दिया था।
लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत हारे
रायपुर शहर पश्चिम से भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान विधायक व लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत कांग्रेस के विकास उपाध्याय से हार गए। इस सीट पर मूणत इस सीट से लगातार तीन बार जीत चुके हैं। पिछली बार जीत के अंतर को कांग्रेस के विकास उपाध्याय ने काफी कम कर दिया था।
तेलंगाना
तेलंगाना में केसीआर की टीआरएस की आंधी में सभी उड़ते नजर आए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के लक्ष्मण और जमीनी नेता जी किशन रेडडी अपनी सीट नहीं बचा पाए।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी हारे
तेलंगाना में मुशीराबाद से चुनाव लड़े भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के लक्ष्मण कांग्रेस और टीआरएस प्रत्याशियों से पिछड़कर लक्ष्मण तीसरे नंबर पर रहे। अपने बयान में लक्ष्मण ने कहा था कि भाजपा जनता का फैसला स्वीकार करती है और नरेंद्र मोदी की सरकार तेलंगाना के विकास के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहेगी। चुनाव नतीजों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के लक्ष्मण ने कहा कि पार्टी जनता के फैसले का पूरा सम्मान करती है। बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुददों को दरकिनार कर दिया गया क्योंकि चुनाव प्रचार करने आए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने लोगों की भावनाओं को पुनर्जीवित कर दिया।
जी किशन रेड्डी हारे
भाजपा के सीनियर नेता किशन रेड्डी कद्दावर माने जाते हैं। उन्हें पार्टी ने अंबरपेट सीट पर उतारा था। उन्हें टीआरएस के कलेरू वेंकटेश ने हराया।
मिजोरम
मिजोरम में दस सालों तक सत्ता संभालने वाली कांग्रेस को यहां की जनता ने इस बार पूरी तरह नकार दिया है। वहीं 2008 से सत्ता से बाहर रहे मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने 26 सीटों के साथ जोरदार वापसी की है। एएनएफ की आंधी में कांग्रेस का सुपड़ा साफ हो गया।
मुख्यमंत्री ने दोनों सीटें गंवाईं
सूबे के मुख्यमंत्री लल थनहवला दोनों सीटों सेरछिप और चम्फाई से चुनाव हार गए। चम्फाई में उन्हें एमएनएफ के टीजे ललननलुआंगा ने मात दी। थनहवला 1987 में मिजोरम राज्य बनने के बाद से तीन बार मुख्यमंत्री रहे।