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तृणमूल कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए संसद की स्थायी समिति की बैठक की मांग की

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने मणिपुर में मौजूदा हिंसा की स्थिति के आकलन के लिए गृह...
तृणमूल कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए संसद की स्थायी समिति की बैठक की मांग की

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने मणिपुर में मौजूदा हिंसा की स्थिति के आकलन के लिए गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति की तत्काल बैठक बुलाने की मांग की और कहा कि जमीनी हकीकत को समझने तथा स्थिति की वास्तविक जानकारी होना आवश्यक है।

समिति के अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद एवं पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बृज लाल को लिखे पत्र में राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस पार्टी के संसदीय मामलों के नेता ने कहा कि मणिपुर पर समिति की बैठक की आवश्यकता है जो वर्तमान में ‘‘जातीय हिंसा के परिणामों’’ से जूझ रहा है।

तृणमूल कांग्रेस नेता ने 15 जून को लिखे पत्र में कहा, ‘‘मणिपुर में हिंसा की मौजूदा स्थिति के आकलन के लिए गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति की बैठक की आवश्यकता और इससे प्रभावित लोगों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए मैं यह पत्र लिख रहा हूं। लोकतांत्रिक प्रणाली के प्रतिनिधि के तौर पर यह आवश्यक है कि हम यह कार्य करें।’’

मणिपुर में करीब एक महीने पहले मेइती और कुकी समुदाय के लोगों के बीच भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई। राज्य के 11 जिलों में कर्फ्यू लगाया गया है और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट पर प्रतिबंध है।

इस पत्र में ओ’ब्रायन ने कहा है कि गिरजाघर प्राधिकरण से मिली जमीनी रिपोर्ट यह संकेत देती है कि कई गिरजाघरों में तोड़ फोड़ की गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह अभूतपूर्व स्थिति है। आवश्यक सामग्री की कीमतें बढ़ गई हैं और एटीएम के सामने लंबी कतारें लगी रहती हैं। मणिपुर में हालिया हिंसा की घटनाओं ने क्षेत्र में रह रहे लोगों की सुरक्षा और सलामती को लेकर चिंताएं खड़ी की हैं। ऐसी सूचना है कि कई लोग मारे गए हैं और हजारों विस्थापित हुए हैं। देखते ही गोली मारने के आदेश राज्य में भय के माहौल को बढ़ाते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह आवश्यक है कि हम जमीनी हकीकत को समझें और हिंसा के असर का आकलन करें। मणिपुर में जारी हिंसा पर चर्चा करने के लिए स्थायी समिति की बैठक होनी चाहिए और इससे स्थिति की वास्तविक जानकारी प्राप्त होगी।’’

अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे के लिए मेइती समुदाय की मांग के विरोध में मणिपुर में तीन मार्च को ‘एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया था जिसके बाद राज्य में हिंसा भड़क गई थी।

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