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यूपी चुनाव से पहले अखिलेश की बेटी भाजपा में हुईं शामिल, बसपा की वंदना ने भी थामा 'कमल'; कांग्रेस-बसपा को बड़ा झटका

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। बुधवार को रायबरेली सीट से बागी...
यूपी चुनाव से पहले अखिलेश की बेटी भाजपा में हुईं शामिल, बसपा की वंदना ने भी थामा 'कमल'; कांग्रेस-बसपा को बड़ा झटका

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। बुधवार को रायबरेली सीट से बागी विधायक अदिति सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया है। लगातार लंबे समय से कांग्रेस पर हमलावर रही अदिति सिंह के भाजपा में जाने से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। रायबरेली कांग्रेस और नेता सोनिया गांधी का गढ़ माना जाता है। वहीं, मायावती को भी बड़ा झटका लगा है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की विधायक वंदना सिंह बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुईं है।

गौरतलब है कि अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह ने भी कांग्रेस से बगावत किया था। अब उनकी बेटी ने बगावत कर बीजेपी में शामिल हो गई हैं।

भाजपा में शामिल होने के बाद अदिति सिंह ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की कार्यशैली से बहुत प्रभावित थी, मैंने पूरे पांच साल उनकी कार्यशैली पर गौर किया। मैं अपनी सीट पर ज़्यादा से ज़्यादा मेहनत करके सीट जीता कर लाने का वादा करती हूं।"

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने इस मौके पर कहा है, "आज दो लोकप्रिय विधायिकाएं भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई हैं। एक अखिलेश यादव और डिम्पल को टक्कर देने के लिए और एक सोनिया-प्रियंका को टक्कर देने के लिए। दोनों दलित और शोषित लोगों के बीच में काम करती हैं।" स्वतंत्र देव सिंह की मौजूदगी में व‍िधायक अदिति सिंह ने पार्टी की सदस्यता ली है।लंबे समय से अदिति सिंह के बीजेपी में शामिल होने की चर्चा थी। 

भाजपा में शामिल होने के बाद अदिति सिंह ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की कार्यशैली से बहुत प्रभावित थी, मैंने पूरे पांच साल उनकी कार्यशैली पर गौर किया। मैं अपनी सीट पर ज़्यादा से ज़्यादा मेहनत करके सीट जीता कर लाने का वादा करती हूं।"

विधायक अदिति सिंह ने साल 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर राजनीतिक करियर की शुरूआत की थी। उस वक्त यूपी में भाजपा की जोरदार लहर थी लेकिन रायबरेली के सदर सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने में अदिति कामयाब हुईं थी। उन्होंने अपने पिता अखिलेश सिंह की जगह ली थी, जो 5 बार से रायबरेली सदर के विधायक थे।

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