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यूपीः आतंकियों को मार गिराने वाले आईपएस असीम अरूण सपा गढ़ में जीते

लखनऊ। आतंकियों के लिए काल रहे पूर्व आईपीएस असीम अरूण ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में शानदार जीत हासिल की...
यूपीः आतंकियों को मार गिराने वाले आईपएस असीम अरूण सपा गढ़ में जीते

लखनऊ। आतंकियों के लिए काल रहे पूर्व आईपीएस असीम अरूण ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में शानदार जीत हासिल की है। कन्नौज सदर सुरक्षित सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी और तीन बार के विधायक अनिल कुमार दोहरे को 6,362 मतों के अंतर से परास्त किया। पूर्व में सपा का गढ़ होने की वजह से कन्नौज की तीनों सीट पर सभी की नजर थी, लेकिन वीआरएस लेकर राजनीति में उतरे भाजपा प्रत्याशी असीम अरुण की वजह से कन्नौज सदर की सीट सबसे ज्यादा चर्चित थी। इस पर पूरे प्रदेश की नजर थी।

माना जा रहा था कि सपा का गढ़ माने जाने वाले क्षेत्र से पहली बार राजनीति में उतरे पूर्व आईपीएस असीम अरूण कैसे पार पाएंगे। टिकट की घोषणा के पहले से ही उन्होंने जिले की भाजपा ईकाई के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ सामंजस्य बनाया और रणनीतिक रूप से चुनाव लड़े। पूर्व आईपीएस असीम का कहना है कि सपा और दूसरी पार्टियां तो अपराधियों को टिकट देती हैं। भाजपा एक पुलिस अफसर को राजनीति में अवसर प्रदान करती है। भाजपा शासन में वोटों की ठेकेदारी और वोटों की खरीददारी खत्म हुई है। मैं तो वादे और भरोसे से आगे जाकर काम कर रहा हूं। दूसरी ओर, कई तरह के समीकरण खाकी से खादी की राह में चुनौती बन रहे हैं। कन्नौज के ग्रामीण इलाके में लोगों का कहना था कि वे एकाएक नए व्यक्ति पर कैसे भरोसा कर सकते हैं।

परिवारवाद व पूँजीवाद से बाहर के लोग राजनीति में आएं :

पूर्व आईपीएस असीम अरूण का कहना है कि अब राजनीति में भी विशेषज्ञों को काम करने का मौका मिल रहा है। बस, फर्क यह है कि आप इसे किस नजरिए से देखते हैं, फिलहाल मैं इसे भाजपा की मौलिक पहल के तौर पर देखता हूं। राजनीति में विशेषज्ञ एवं विविध बैकग्राउंड के लोग आएं। परिवारवाद और पूंजीवाद से बाहर के लोग राजनीति ज्वाइन करें। मैं समझता हूं कि मैं इस ट्रेंड में पहला नहीं हूं और न ही आखिरी हूं। मेरा प्रयास होगा कि राजनीति में विशेषज्ञ आएं। चाहे वे फुल टाइम आएं या पार्ट टाइम। पहले ऐसा था भी कि लोग वकालत करते थे, बिजनेस करते थे। उसमें उपलब्धि हासिल करने के बाद वे राजनीति में आते थे। उसके बाद एक ट्रेंड आया कि राजनीति ही फुल टाइम प्रोफेशन है।

वैसे देखा जाए तो एक प्रत्याशी के तौर पर सपा एवं दूसरी पार्टियां अपराधियों को टिकट दे रही हैं। भाजपा ने एक पुलिस अफसर को टिकट दिया है। इससे अंतर साफ नजर आता है। वर्ष 2007 में सपा ने कांग्रेस शासनकाल में स्वास्थ्य मंत्री रहे बिहारीलाल दोहरे के पुत्र अनिल दोहरे को टिकट दी थी। तब से लेकर अभी तक वे जीत रहे थे, अब नए विधायक के्ररूप में असीम अरूण होंगे। असीम अरूण का कहना है कि हमने सोशल मीडिया के जरिए एक योजना तैयार की है। हम वादा और भरोसा, दोनों दिलाएंगे। तीन माह में समीक्षा होगी। हम देखेंगे कि कहां से चले हैं और कहां पहुंचे हैं। मौखिक वादे नहीं करेंगे।

राजनीति में प्रवेश कर सकते हैं :

मेरे जैसे लोगों के राजनीति में आने या पार्टी द्वारा लाए जाने से विविधता तो आएगी। मैंने अपने पिता के रास्ते पर चलने का प्रयास किया है। ज्ञात हो कि असीम अरुण के पिता स्व. श्रीराम अरुण यूपी के डीजीपी रहे हैं। मैंने अपने पिता के रास्ते पर चलने का प्रयास किया है। उनकी ईमानदारी की राह अख्तियार की है। मैं इसी शर्त पर पार्टी में आया हूं। मैं पूरी ईमानदारी से काम करूंगा। वरना, मेरा आना जाना व्यर्थ है। इसके लिए नए रास्ते निकालने होंगे। पारदर्शिता के लिए एक नेटवर्क तैयार कर रहे हैं। मेरे जैसे कई नए लोग भी जुड़ेंगे। अभी लोग, राजनीति से क्यों नहीं जुड़ना चाहते। लोगों को लगता है कि राजनीति में अपने सिद्धांतों से समझौता करना पड़ेगा। हम अपने ड्राइंग रूम में बैठकर राजनीतिक बात करते हैं, लेकिन जब कुछ करने की बारी आती है तो हम पीछे हट जाते हैं। वह इसलिए, क्योंकि वे सोचते हैं कि राजनीति बहुत ठीक नहीं होती। यदि ऐसा है तो उसे दूर करना होगा। मेरा राजनीतिक दायरा आदर्शों पर आधारित होगा। दूसरे लोग भी भाजपा के साथ जुड़ सकते हैं। राजनीति में सक्रिय प्रवेश कर सकते हैं।

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